इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू होने जा रहे हैं और इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा.
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होते हैं और इनका समापन आश्विन अमावस्या पर होता है.
पितृ पक्ष की अवधि 16 दिन की होती है. इस दिन से पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, पूजा, आदि करते हैं.
ज्योतिषियों के मुताबिक, पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष में कोई नई वस्तु, कोई नया कार्य या मांगलिक कार्य करना बेहद अशुभ माना जाता है.
तो आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष में कोई नया या शुभ कार्य क्यों नहीं किया जाता है. जानते हैं इसके पीछे की खास वजह.
ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पांडेय के मुताबिक, पितृ पक्ष के समय मौसम और ग्रहों की स्थिति बेहद खराब होती है, जिसकी वजह से कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है.
इन ग्रहों की खराब स्थिति के कारण मन भी अशांत रहता है, जिसकी वजह से किसी कार्य में मन भी नहीं लगता है. क्योंकि जब आपका मन बेहतर नहीं होगा और आप उस समय कोई कार्य करेंगे तो उसके परिणाम भी बेहतर नहीं होंगे.
शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में दबाव में कोई श्राद्ध करना या दान कार्य की भी सख्त मनाही होती है. इससे पितर नाराज हो जाते हैं.
इसलिए, पितृ पक्ष में वही कार्य किए जाएं जो श्रद्धा से कर सकें. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.