स्वामी प्रेमानंद महाराज ने बताया, मनुष्य को क्यों भोगने पड़ते हैं पुराने कर्म

ह‍ित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज अक्सर अपने प्रवचनों से सुर्खियों में रहते हैं. 

प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में बताया है कि सारे कर्मों का फल स्वर्ग और नरक में भोगने के बावजूद इस जन्म में भी मनुष्य को पुराने कर्मों को क्यों भोगना पड़ता है?

महाराज कहते हैं, जब आप हिंसा या चोरी करते हैं तो न्यायालय में जो दंड मिलता है वह तो अलग दंड होता है. लेकिन पुलिस पिटाई करती है, उसका क्या?

आपको पुलिस अपमानित करती है. हथकड़ी डालकर ले जाती है. कई वर्षों तक लोगों का अपमान का सामना करना पड़ता है.

प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'न्यायालय में तो आपको बाद में सजा मिलती है. अंतिम सजा तो यह है कि आप समाज के नजर में भी गिर जाते हैं.

इसी तरह भगवान ने कृपा करके आपको इस जन्म में मानव देह दी है. लेकिन आपके बहुत से पाप ऐसे थे जिनका हिसाब नहीं हुआ. उसी का ब्याज सहित दंड मिलता है.

नरक की चाहरदीवारी पूरे विश्व का जेल है. त्रिभुवन का सबसे बड़ा जेल नरक है. वहां रहम नाम की कोई गुंजाइश नहीं होती है. 

प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि इससे बचने का एक ही उपाय है और वह है- नाम जाप. भगवान का जो नाम आपको प्रिय लगे उसका जाप करें.