सर्दियों के दौरान लोग कई बार जूते-मोजे खोलने से बचते हैं. यहां तक कि कई बार जूते-मोजे पहनकर ही परिक्रमा कर लेते हैं.
प्रेमानंद महाराज से जब पूछा गया कि इस सर्दी में एक साधारण इंसान मोजे पहन कर परिक्रमा लगा सकता है?
इस पर उन्होंने कहा- नहीं. मोजा और जूते दोनों पादुका श्रेणी में ही आते हैं. मोजा पहन कर परिक्रमा नहीं करनी चाहिए.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि मोजा पहन कर लोग शौचालय या पेशाब करने जाते हैं. इसलिए मोजा पहन कर ठाकुर जी के सामने जाना सही नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि हां, अगर एकदम ऐसी परिस्थिति आ गई है कि मोजे नहीं उतार सकते हैं तब नए मोजे का इस्तेमाल कर सकते हैं.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि लेकिन इसका खास ध्यान रहे कि इस मोजे को पहन कर फिर शौचालय नहीं जाएं.
उन्होंने कहा कि परिक्रमा के दौरान पैर में घाव ना हो इसलिए कई बार लोग कपड़े की एक-दो पट्टी बांध लेते हैं. लेकिन वह मोजा नहीं होता है.