प्रेमानंद महाराज के गुरु कौन हैं? जिन्होंने सिखाया प्रेम मार्ग पर चलना

5 Feb 2024

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उपदेशों के कारण सोशल मीडिया पर एक संत काफी फेमस हो रहे हैं. लोग अक्सर उनके वीडियोज को सुनते हैं और शेयर करते हैं.

पीतांबरी वस्त्र वाले महाराज

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इन संत का नाम श्रीहित प्रेमानंद महाराज है. वे वृंदावन में रहते हैं और राधावल्लभी संप्रदाय से आते हैं.

राधावल्लभी संप्रदाय

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वृंदावन आने से पहले वह बनारस में ज्ञान मार्ग के संन्यासी थे लेकिन जब उन्होंने कृष्ण रास लीला देखी तो उनका ह्रदय परिवर्तित हुआ और कुछ समय बाद वृंदावन आए.

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प्रेमानंद महाराज के आश्रम से बताया गया है कि उनको ज्ञानमार्गी से प्रेममार्गी बनाने वाले गुरु का नाम संत श्रीहित गौरांगी शरण महाराज है.  अब प्रेमानंद महाराज की उनसे मुलाकात कैसे हुई? इस बारे में जान लीजिए.

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बात शुरू होती है प्रेमानंद महाराज के पहली बार मथुरा आने से. दरअसल, जब प्रेमानंद महाराज मथुरा आए तो उन्हें महसूस हुआ कि यही तो वह जगह है, जहां वह जाने कितने वर्षों से आना चाहते थे. इसके बाद वे बिहारी मंदिर गए और फिर मंदिर उनका आना-जाना लगा रहा.

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ज्ञानमार्गी प्रेमानंद महाराज का प्रेम रस में डूबना आसान नहीं था क्योंकि ज्ञान मार्ग का व्यक्ति अपने तर्कों की आधारशिला पर ही हर चीज को फिट करना चाहता है.

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सालों पहले की बात है, जब प्रेमानंद महाराज वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर गए थे तब उनकी मुलाकात वहां के तिलकायत अधिकारी मोहित मराल गोस्वामी से हुई थी.

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इसके बाद मोहित मराल गोस्वामी ने उन्हें उनकी उलझन को दूर किया और राधावल्लभ का नाम देते हुए वृंदावन के संत श्रीहित गौरांगी शरण महाराज के पास भेजा.

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गौरांगी शरण महाराज को सभी दादा गुरु और बड़े महाराज जी के नाम से जानते हैं. वे किसी से मिलते जुलते नहीं हैं. लेकिन गौरांगी शरण जी महाराज ने श्री हित प्रेमानंद जी महाराज को अपनी शरण में ले लिया और उन्हें राधावल्लभी संप्रदाय में दीक्षित किया.

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इसके बाद वर्षों तक प्रेमानंद महाराज की उंगुली पकड़कर प्रेम मार्ग पर चलाया. इसके बाद प्रेमानंद जी महाराज ज्ञान मार्ग की सीढ़ीयां उतरते गए और अपने गुरु गौरांगी शरण दास महाराज के परम शिष्य बन गए.

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गौरांगी शरण महाराज ने उन्हें वृंदावन की प्रेम रस महिमा को आत्मसात करने में मदद की. आज भी हर गुरूवार को प्रेमानंद जी महाराज अपने गुरू गौरांगी शरण जी से मिलने जाते हैं.

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