वृंदावन के मशहूर बाबा हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज अक्सर अपने प्रवचनों से सुर्खियों में रहते हैं. हाल ही में उन्होंने बताया है कि घर आए साधुओं से किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए.
सनातन धर्म में साधुओं का एक विशेष महत्व है. अगर दरवाजे पर कोई साधु-संत आते हैं तो लोगों की इच्छा होती है कि वो नाराज होकर ना लौटें.
लेकिन कई बार इंसान परिस्थितिवश उतना सक्षम नहीं होता है कि घर आए साधुओं का सही से सत्कार कर सके या उन्हें खुशी-खुशी विदा कर सके.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'अगर तुम्हारे घर कोई साधु-संत आता है तो आप उसका मधुर वचन जैसे राधे श्याम या राधे-राधे से स्वागत कीजिए.'
प्रेमानंद कहते हैं, 'अगर साधु पैसा मांगता है, तो आप कह दीजिए. हमारी श्रद्धा नहीं है या हम उतने सामर्थ्य नहीं हैं. इसमें कोई संकोच नहीं करना चाहिए.
आप घर आए साधु को कहें कि आप चाहें तो पानी पिला सकता हूं, खाना खिला सकता हूं. लेकिन अगर वह रुपया मांगने पर अड़ जाए तो उसे आराम से विदा कर दीजिए.
प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं कि अगर साधु यह बोलता है कि हम खाली हाथ जा रहे हैं, तुम नष्ट हो जाओगे तो उसे जाने दीजिए. इसमें आपका कोई अपराध नहीं है.
साधुओं के इस तरह की बातों से कभी नहीं डरना चाहिए. वह खुद नष्ट हो रहा है. वह उस वक्त आपसे जल रहा होता है. उससे बदबू आ रही होती है.