प्रेमानंद महाराज ने 'विष-किट' वाले महाराज को दी सलाह, बोले 'माता-बहन की तरफ ऐसी दृष्टि न जाए'

21 Nov 2024

Credit: Bhajanmarg/Aniruddhacharya maharaj

वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज लोगों को आध्यात्म से जोड़ने का काम कर रहे हैं. वह लोगों को भगवत प्राप्ती का तरीका तो बताते ही हैं, साथ में आम जिंदगी की परेशानियों का हल भी बताते हैं.

Credit: Instagram/Aniruddhacharya Maharaj

वहीं दूसरी ओर बिस्किट को 'बिष की किट' बताने वाले अनिरुद्धाचार्य महाराज के वीडियोज भी सोशल मीडिया पर काफी शेयर होते हैं.

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यूट्यूब पर एक वीडियो है, जिसमें अनिरुद्धाचार्य महाराज, प्रेमानंद महाराज के सामने घुटने पर बैठे हुए हैं और प्रेमानंद महाराज उन्हें आशीष वचन कह रहे हैं.

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प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य महाराज से कहा, 'ध्यान रखना कभी किसी माता बहन की तरफ ऐसी दृष्टि ना जाए जो हमारे धर्म के लिए प्रतिकूल हो.'

'जब भागवत में बैठो तो भागवत के गुरु हैं, प्रभु श्री कृष्ण. वही सुखदेव  जी हैं, वही भगवान व्यास देव जी हैं. वही विविध अवतार हैं. उन्हें धारण करें और उनको प्रणाम करके बोलें. हे हरि सब आपके ही स्वरूप हैं.' 

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'प्रभु मैं आपके धाम में हूं और आपका यशदान कर रहा हूं. आप हमारी वाणी पर विराजमान हो जाएं. आप हमें ऐसी सहमत दें की आपकी एकांतिक रहस्यमयी बातों को आपको सुनाऊं. बस यही भाव आना चाहिए.'

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'इसलिए अगर सावधानी पूर्वक कथा कही जाए और सुनी जाए तो कथन श्रवण मात्र से ही भगवत प्राप्ती हो सकती है.'

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'भगवान ने कहा है, मुझे कोई बड़े से बड़ा व्रत, बड़े से बड़े नियम, बड़े से बड़े संयम या बड़े से बड़े वेद पाठ आदि यज्ञ भी मुझे अपने वश में नहीं कर सकते. अगर मुझे वश में कर सकता  है तो वो सत्संग है.'

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'हम जो कथा का गायन करते हैं वो अपने स्वामी की कृपा से स्वामी के यश का गान कर रहे हैं.'

'आज क्या होता है, हम लोग भगवान का यशगान करके कपट कर देते हैं. गोस्वामी जी कहते हैं, यश तो श्री हरी का गान कर रहे हैं, लेकिन अपना यश चाहने लगते हैं, सम्मान चाहने लगते हैं और वासनाओं की पूर्ति चाहने लगते हैं.'

'जिन लोगों का कथन यह है कि अगर हम अर्थ की मांग नहीं करेंगे तो हमारा काम कैसे चलेगा. तो तुमने भगवत का जाना कहां.'

'अगर अर्थ की दास्तां है तो तुम हरिदास कैसे हुए? अगर तुम हरिदास हो तो अर्थ तो तुम्हारा दास बना ही रहेगा. जितनी वैभव-संपत्ति है वह हरिभक्तों के चरणों में रहती है और अपने आपको कृतार्थ मानती है.'

'इसलिए आप कृपा करके कभी भी डिगना नहीं. सबसे कठिन काम है, भगवत यशगान करना. अकेले में यशगान करना आसान होता है लेकिन लोगों के बीच यशगान करना कठिन होता है. प्राय: यहां हम फिसल जाते हैं.'