प्रेमानंद महाराज ने पूजा के साथ मांस-मदिरा का सेवन करने वालों के बारे में कही ये बात

आपने देखा होगा कि कुछ लोग ईश्वर की पूजा-पाठ के साथ-साथ घर में मांस-मदिरा का सेवन भी करते हैं. ऐसे लोगों के बारे में प्रेमानंद महाराज ने कुछ बातें कही हैं.

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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि अगर आप मांस-मदिरा का सेवन करते हैं या झूठ, छल, कपट की भावना मन में रखते हैं तो ईश्वर की भक्ति का कोई महत्व नहीं रह जाता है.

असुर भी आरधना करते थे. राक्षसों ने भी तपस्या की थी. लेकिन अंतत: उन्होंने संपूर्ण सृष्टि या जगत का अमंगल ही किया.

यदि आप सच्चे हृदय से प्रभु की आराधना कर रहे हैं तो मांस-मदिरा के सेवन या दूसरों के प्रति छल-कपट या द्वेश का भाव ही आपके मन में नहीं आएगा.

उदाहरण के लिए आप हिरण्यकश्यप को देख सकते हैं. दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मदेव को प्रसन्न करने के लिए जो तप किया था, वो कोई ऋृषिमुनि ही कर पाएगा.

लेकिन परिणाम क्या निकला? हिरण्यकश्यप पूरे जगत के संत महात्माओं या धर्मात्माओं को कष्ट देने लगा. यहां तक कि उसने अपने ही बेटे बलि चढ़ाने की साजिश रच दी.

अगर आप सोच रहे हैं कि पूजा-पाठ करने से आपके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे या वो सुकर्मों में बदल जाएंगे, तो यह सिर्फ एक भ्रम है.

पूजा-पाठ से मिटेंगे पाप?

अगर आप जानवरों को मारकर खा रहे हैं. मदिरा पान का सेवन कर रहे हैं. झूठ, छल, कपट से दूसरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो ईश्वर कभी आपका साथ नहीं देंगे.