धन कमाने के लिए लोग दिन रात मेहनत करते हैं. कई बार अकूत धन कमाने के चक्कर में लोग अधर्म के मार्ग पर भी निकल पड़ते हैं.
वृंदावन में प्रवचन करने वाले स्वामी प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में बताया है कि अधर्म के मार्ग से धन कमाने पर क्या होता है.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'जिसके अंदर यह इच्छा आ जाती है कि मैं अधिक से अधिक धन कमाऊं, वह कुछ भी कर सकता है.'
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, जिसके मन में यह संकल्प आ गया, वह किसी भी रास्ते पर चलने के लिए तैयार हो जाता है. जो उसके लिए सर्वनाश का कारण बनता है.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, धर्मात्मा पुरुष धन की प्रवृत्ति नहीं बल्कि धर्म की प्रवृत्ति रखता है. वह ज्यादा से ज्यादा धर्म का आचरण करने की सोचता है. भले ही उसे नमक-रोटी क्यों ना खाना पड़े.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि धर्मात्मा पुरुष को बच्चों के लिए धन जमा नहीं करना पड़ता है. वह इतना प्रवीण और महिमाशाली होता है कि सब व्यवस्था हो जाती है.
वहीं, जो पुरुष अधर्म के मार्ग से धन जमा करता है, उसके बच्चे उसे पीटते हैं. घर से निकाल देते हैं. वह कहीं का नहीं रह जाता है.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'घर से निकाले जाने के बाद अधर्मी पुरुष की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और गलत आचरण में आ जाता है जिससे वो खुद को नष्ट कर देता है.