आज के समय में जहां लिव-इन रिलेशनशिप में रहना आम बात हो गई है. वैसे में प्रेमानंद महाराज ने भी इस पर टिप्पणी की है.
प्रेमानंद महाराज के दरबार में पहुंचे एक व्यक्ति कहता है, 'महाराज जी मेरा एकलौता बेटा कुसंग में पड़कर एक विवाहित स्त्री के साथ लिव इन में रहने लगा है. उस स्त्री के बच्चे भी हैं. महाराज जी हमारा मन दुखी है. हम क्या करें?'
इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज कहते हैं, ' मैं इन प्रश्नों का उत्तर देने के योग्य नहीं हूं. जिस गाड़ी का ड्राइवर ही नशे में हो तो वो गाड़ी फंसेगी ही.'
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'उस गाड़ी का एक्सिडेंट जरूर होगा. मोबाइल का जमाना है और अपने मन का आचरण. ये पतन है.'
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड. ये नशा, वो नशा. गलत खानपान. उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी है. वो ना ही आपकी बात मानेगा और ना ही हमारी बात मानेगा.'
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि ये उन्नति नहीं, पतन की स्थिति है. आज जो लिव इन रिलेशनशिप का समय है क्या है? खुले शब्दों में समझे तो इसे व्याभिचार प्रवृत्ति कहते हैं.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि यह क्या है? आज इस बॉयफ्रेंड से कल उस गर्लफ्रेंड से परसो उस बॉयफ्रेंड से फिर ब्रेकअप. यह सब क्या है?
ये सब जीवन का नाश है. तुम आशा रखते हो कि पुत्र तुम्हारी सेवा करेगा. कभी नहीं. ह्रदय जब दुष्ट हो जाता है फिर संभलना मुश्किल हो जाता है.