14 Jan 2024
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वृंदावन वाले प्रेमानंद महारज के आध्यात्मिक वचन सुनने देशभर से लोग उनके पास पहुंचते हैं.
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विराट-अनुष्का भी अपने दोनों बच्चों के साथ पहुंचे थे जो महाराज के वचन सुनकर अभिभूत हुए.
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हाल ही में प्रेमानंद महाराज से एक शख्स ने सवाल किया, 'मन में सवाल आता है कि आप राधाकेली कुंज से जाने के बाद क्या कर रहे होंगे, ये आपकी दिनचर्या जानना चाहता हूं.'
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प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'रात्रि के हम ग्यारह साढ़े ग्यारह बजे जाग जाते हैं और बैठ कर के भगवत स्मरण करते हैं.'
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'फिर जब दर्द होने लगता है तो लेट जाते हैं. फिर थोड़ी देर बाद बैठ कर भगवत स्मरण करते हैं.'
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'साढ़े ग्यारह से एक के बीच में एक दो बार लेटना होता है. फिर एक बजे जल पिया, शौच-स्नान किए तो लगभग पौने दो बज जाता है.'
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'पौने दो बजे में पांच दस मिनट में यमुना अष्टक का पाठ किया और दो में पांच या दस मिनट कम होते हैं, तब नीचे आ जाते हैं.'
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'वहां से यहां (राधा केली कुंज) की दिनचर्या हमारी साढ़े नौ बजे तक होती है. इसके बाद यहां से जाके प्रसाद पाते हैं.'
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'अगर डायलिसिस है तो डायलिसिस में चले गए. साढ़े चार घंटा वहां लगता है. डायलिसिस से फिर उसके बाद वहां से आए तो शौच-स्नान करके संध्या भजन किया और फिर भजन किया.'
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'आठ बजे से साढ़े तीन घंटा विश्राम होता है. हर समय प्रयास रहता है कि प्रभु की याद बनी रहे. ये हमारी दिनचर्या है.'
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