29 Dec 2024
AajTak.In
अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोग शादी के बाद बेटी के घर का पानी तक नहीं पीते हैं. आर्थिक तंगी में उससे मदद मांगते हुए कतराते हैं.
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लोग ऐसा मानते हैं कि शादी के बाद बेटी से मदद मांगना शास्त्रों के विरुद्ध है. बेटी के घर खाना-पीना या बुरे वक्त में आर्थिक मदद लेना पाप है.
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प्रेमानद महाराज से जब एक महिला ने पूछा कि शादी के बाद क्या बेटी अपने माता-पिता पर धन खर्च कर सकती है? तो उनका जवाब बहुत ही दिलचस्प था.
प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'माता-पिता के लिए पुत्र और पुत्री दोनों समान होते हैं. परिजनों के प्रति बेटे का जो दायित्व है, वो बेटी पर भी लागू होता है.'
'मान लीजिए बेटे ने अपने मां-बाप को घर से निकाल दिया. तो बेटी का यह दायित्व है कि वो अपने मां-बाप को अपने घर में शरद दे.'
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'यदि बेटी के घर अच्छी व्यवस्था है तो माता-पिता उसके घर खान-पान कर सकते हैं. यहां तक कि उसके घर अपना पूरा जीवन व्यतीत कर सकते हैं'
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'बेटी के घर रहना. उसके घर भोजन करना कोई अपराध नहीं है. माता-पिता बिना किसी झिझक के अपनी बेटी के घर आश्रय ले सकते हैं.'
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'जो लोग बेटी के घर का पानी नहीं पीते हैं या उससे मदद नहीं लेते हैं, वो सनातन धर्म में पूज्य भाव के कारण ऐसा करते हैं.'
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'कुछ लोग तो उस गांव का भी पानी नहीं पीते हैं, जहां बेटी की शादी हुई है. और लोग ऐसा सिर्फ पूज्य भाव के कारण करते हैं. न कि यह कोई पाप है.'