12 Sep 2024
Credit: Aajtak.in
वृंदावन वाले मशहूर प्रेमानंद महाराज के पास दूर-दूर से लोग अपने दिल में छुपे सवाल और समस्याएं लेकर पहुंचते हैं.
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महाराज भी अपने भक्तों के सवालों को ध्यानपूर्वक सुनकर उन्हें जवाब देकर विस्तार से समझाते हैं.
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एक व्यक्ति अपनी जिज्ञासा लिए महाराज के पास पहुंचता है और पूछता है कि 'क्या वह अपने मंदिर में ठाकुर जी के साथ अपने स्वर्गीय माता-पिता की तस्वीर रख सकता है?'
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इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'अगर आपके मन में है कि आपके ठाकुर जी आपके स्वर्गीय माता-पिता ही हैं तो कोई परेशानी नहीं है.'
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वह बोले, 'ठाकुर जी का रूप कैसा..आपने मान लिया वैसा. सृष्टि कैसी..? आप जैसी देखो वैसी. लोग पत्थरों में भगवान को देखते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं क्योंकि उसमें भगवत भाव होता है.'
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समझाते हुए वह कहते हैं कि हम जिस भाव से चीजों को देखते हैं वह वैसी होती हैं. महाराज कहते हैं, 'जब हम मूर्तियों में भगवत भाव कर सकते हैं, तो उस रूप में भी भगवत भाव कर सकते हैं.'
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उनके अनुसार, अगर आपके मन में भगवत भाव है तो मंदिर में स्वर्गीय माता-पिता की तस्वीर रखने से कोई परेशानी नहीं होगी.
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हालांकि, अगर आपके मन में भगवत भाव नहीं है तो स्वर्ग लोक जा चुके माता-पिता के चित्र मंदिर में रखने से कुछ मंगल नहीं होगा.
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अगर आपके मन में सिर्फ यही है कि वे केवल आपके माता-पिता हैं, तो आप भगवान के मंदिर में उन्हें ना रखो. उनकी तस्वीरों को कमरे में लगा लो.
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लेकिन अगर आपके मन में ये है कि आपके माता-पिता के रूप में वे आपके भगवान हैं, तो उन्हीं तस्वीरों में भगवान का साक्षात्कार हो जाएगा और फिर आप अलग से कृष्ण की मूर्ति लगाओ या ना लगाओ कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
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