इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. इसी के चलते रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जाएगा.
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शास्त्रों के अनुसार, भद्रा काल में भाई की कलाई पर राखी बंधना वर्जित है. आइए जानते हैं कि भद्रा कौन है और लोग इससे क्यों डरते हैं.
शास्त्रों के अनुसार, भद्रा सूर्यदेव की बेटी और ग्रहों के सेनापति शनिदेव की बहन है. शनि की तरह इनका स्वभाव भी कठोर माना जाता है.
इनके स्वभाव को समझने के लिए ब्रह्मा जी ने काल गणना या पंचांग में एक विशेष स्थान दिया है, जिसमें शुभ या मांगलिक कार्य निषेध हैं.
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी रक्षाबंधन पर जब भद्रा होती है, तो भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधी जाती है.
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हिंदू पंचांग के कुल 5 प्रमुख अंग होते हैं- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण. इसमें करण का विशेष स्थान होता है, जिसकी संख्या 11 होती है.
11 करणों में से 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है. और भद्रा के साए में शुभ या मांगलिक कार्य करने से लोग डरते हैं.
कहते हैं कि लंकापति रावण की बहन सूर्पनखा ने भद्रा के साए में ही उसे राखी बांधी थी और इसके बाद उसके साम्राज्य का विनाश हो गया था.
ज्योतिषियों के अनुसार, 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा काल आरंभ हो जाएगा और रात 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगा.
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इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त को रात 09.02 बजे से लेकर 31 अगस्त को सुबह 07.05 बजे तक मनाने की सलाह दी गई है.
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