इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 30-31 अगस्त को मनाया जाएगा. रक्षाबंधन के त्योहार पर रानी कर्णावती का जिक्र न हो, ये संभव नहीं.
एक बार गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चितौड़ के नाराज सामंतो के कहने पर चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया.
बहादुरशाह जफर के इस आक्रमण से बचने के लिए तब राणा सांगा की पत्नी रानी कर्णावती ने पद्मशाह के हाथों हुमायूं को राखी भेजी थी.
कर्णावती ने राखी के साथ एक संदेश भी भेजा था. इस संदेश में कर्णावती ने हुमायूं से राज्य की सुरक्षा करने का अनुरोध किया था.
रानी के इस कदम ने हुमायूं को भीतर से छू लिया. लेकिन उन दिनों हुमायूं ग्वालियर के युद्ध में फंसा था. उसे समय पर संदेश नहीं मिला.
हुमायूं की सेना जब तक मेवाड़ पहुंची, दुर्भाग्यवश बहादुरशाह जफर की जीत हो गई और रानी कर्णावती ने खुद को आग लगा ली.
लेकिन हुमायूं की सेना ने चित्तौड़ से शाह को खदेड़ कर रानी के पुत्र विक्रमजीत को गद्दी सौंप दी और अपनी राखी का मान रखा.
तब से लेकर आज तक रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहार पर इस ऐतिहासिक घटना को याद किया जाता है.