फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इसे ही आंवला एकादशी या आमलकी एकादशी के नाम से जाता है.
इस बार रंगभरी एकादशी का व्रत 20 मार्च, बुधवार को रखा जाएगा. रंगभरी एकादशी को होली के त्योहार की सबसे खास एकादशी माना जाता है.
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाती है. जबकि आमलकी एकादशी पर भगवान विष्णु की उपासना की जाती है.
रंगभरी एकादशी का महत्व काशी के शिवभक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस दिन शिव-गौरी को गुलाल से रंगा भी जाता है.
ज्योतिषियों की मानें तो, रंगभरी एकादशी के दिन कुछ गलतियों से सावधान रहना चाहिए.
रंगभरी एकादशी के दिन काले और गहरे रंग का प्रयोग न करें. काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है.
इसके अलावा, इस दिन किसी बड़े का अपमान भी न करें. बल्कि, इस दिन अपने बड़ों का आशीर्वाद लें.
रंगभरी एकादशी के दिन मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन न करें. ऐसा करना बेहद अशुभ माना जाता है.
रंगभरी एकादशी का पूरा दिन सिर्फ भगवान की उपासना में लगाएं. किसी गलत कार्य पर अपना ध्यान न लगाएं.