सकट चौथ कल, जानें इस दिन क्यों काटा जाता है 'बकरा'

इस साल सकट चौथ का त्योहार 29 जनवरी यानी कल मनाया जाएगा. सकट चौथ को तिल कुटा चौथ, संकटी चौथ, संकष्टी चतुर्थी और माही चौथ भी कहा जाता है.

इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण करती हैं. इस दिन व्रत से संतान को लंबी आयु और उन्नति मिलती है.

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सकट चौथ के दिन 'बकरा' काटने की भी परंपरा. दरअसल, इस दिन तिल और गुड़ को बकरे का आकार दिया जाता है और फिर उसे काटा जाता है.

पहले परिवार को संकटों से बचाने के लिए बलि दी जाती थी. इसके लिए कई जगहों पर बकरे की बलि का रिवाज था, जो अब बंद हो चुका है.

इसलिए परिवार को बुरी बलाओं से बचाने के लिए सकट चौथ पर अब तिल और गुड़ को बकरे का आकार दिया जाता है. फिर दूब से उसकी गर्दन काटी जाती है.

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ऐसी मान्यता है कि सकट चौथ पर गुड़ और तिल से बने बकरे की बलि देने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं. इसलिए सकट चौथ के दिन 'बकरे' की बलि दी जाती है.

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सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 04.37 बजे से रात 07.37 बजे तक रहेगा. सकट चौथ व्रत चांद को अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है.

पूजा का मुहूर्त और चंद्रोदय

इसलिए 29 जनवरी को भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा के बाद ही सकट चौथ का व्रत पूरा होगा. इस दिन चंद्रोदय रात 09.10 मिनट पर होगा.