By Aajtak.in
भोलेनाथ को उनकी 3 आंखों के कारण त्र्यंबकेश्वर कहते हैं. क्या आप जानते हैं कि शिवजी ने कितनी बार अपनी तीसरी आंख खोली थी.
एक बार देवराज इंद्र और देवगुरु बृहस्पति भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत गए. तब शिवजी उनके धैर्य की परीक्षा लेने लगे..
शिवजी ने एक ऋषि का रूप धारण किया और गुरु, इंद्र का रास्ता रोक बीच में बैठ गए. इंद्र के बार-बार कहने पर भी वो रास्ते से नहीं हटे.
तब इंद्र को गुस्सा आ गया और उन्होंने क्रोधित होकर भगवान शिव पर अपना वज्र चला दिया. ये देख शिवजी भी क्रोधित हो उठे.
शिवजी ने क्रोधित होकर अपनी तीसरी आंख खोल दी. उस समय गुरु बृहस्पति ने बीच-बचाव कर देवराज इंद्र की जान बचाई थी.
तब शिवजी ने अपनी तीसरी आंख समुद्र की ओर घुमा दी, जिससे निकली ऊर्जा से जालंधर असुर का जन्म हुआ था.
भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती के पिता ने एक यज्ञ करवाया था, जिसमें भगवान शिव को छोड़कर सभी देवी-देवता आमंत्रित थे.
देवी सती को पति का ये अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने क्रोधित होकर उसी यज्ञ में अपनी आहुति दे दी. अपने प्राण त्याग दिए.
देवी सती के प्राण जाने से महादेव क्रोधित हो गए और मोह माया के बंधन से मुक्त होकर लंबी साधना में चले गए. वो कई बरस साधना में रहे.
तब सभी देवी-देवताओं ने महादेव को साधना से जगाने का विचार किया. ऐसे में कामदेव ने शिवजी को जगाने की ठानी.
उसने तीर मारकर शिवजी की साधना तोड़ी. साधना टूटते ही शिवजी की तीसरी आंख खुल गई और उसकी अग्नि से कामदेव भस्म हो गया.
एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव के साथ खेल-खेल में उनकी दोनों आंखों पर हाथ रखकर उन्हें बंद कर दिया.
पार्वती की अनजाने में हुई इस भूल से पूरे विश्व में अंधेरा छा गया. तब विश्व को बचाने के उद्देश्य से शिवजी ने अपनी तीसरी आंख खोली थी.
कहते हैं कि इस तपन से पार्वती के हाथों से जो पसीना टपका था, उससे अंधक नाम के राक्षस का जन्म हुआ था.