By: Aajtak.in
ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनि का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसे जयंती भी कहते हैं. इस बार शनि जयंती शुक्रवार, 19 मई को मनाई जाएगी.
शनि जयंती पर शनि को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा-आराधना की जाती है. लेकिन इस पूजा में 6 विशेष बातों का बारीकी से ध्यान रखना चाहिए.
शनि की पूजा में तांबे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. तांबा का संबंध सूर्यदेव से है और सूर्य पुत्र होने के बावजूद शनि सूर्य के परम शत्रु हैं.
शनि देव की पूजा में लाल रंग या लाल फूल का प्रयोग बिल्कुल न करें. लाल रंग मंगल का परिचायक है और मंगल भी शनि के शत्रु ग्रह हैं.
कुछ लोग पूर्व दिशा की ओर मुख करके शनि की पूजा करते हैं. लेकिन शनि पूजन पश्चिम की ओर मुंह करके करनी चाहिए. शनि इस दिशा के स्वामी हैं.
शनि की पूजा के वक्त उनकी प्रतिमा के ठीक सामने खड़े होकर प्रार्थना न करें. उनकी आंखों में भी न देखें. इससे शनि की वक्र दृष्टि का शिकार हो सकते हैं.
शनि देव की पूजा के दौरान सफाई का ध्यान जरूरी है. उनकी पूजा कभी गंदगी भरे माहौल या गंदे कपड़े पहनकर नहीं करना चाहिए.
शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शनि जयंती पर उन्हें केवल काले तिल और खिचड़ी का ही भोग लगाना चाहिए.