13 Oct 2024
aajtak.in
वैसे तो हर पूर्णिमा अपने आप में ही बेहद महत्वपूर्ण है. परंतु, साल की दो पूर्णिमा सबसे ज्यादा खास मानी जाती है- शरद पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा.
शरद पूर्णिमा को कोजागरी व्रत के रूप में मनाया जाता है. कहते हैं कि ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक है कि छोटे से उपाय से बड़ी बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए, धन प्राप्ति के लिए ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है.
शरद पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात 8:40 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 17 अक्टूबर को शाम 4:55 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी.
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय शाम 5:05 मिनट पर होगा. इसके अलावा, खीर रखने का समय रात 8:40 मिनट से शुरू होगा.
स्नान दान हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में ही करना चाहिए. स्नान दान का समय सुबह 4:42 मिनट से सुबह 5:32 मिनट तक रहेगा.
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा संपूर्ण सोलह कलाओं से युक्त होता है. माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि, प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्रीकृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था.
इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन सेहत, प्रेम और धन पा सकते हैं. साथ ही छोटे छोटे उपायों से चंद्रमा को भी मजबूत किया जा सकता है.