7 OCT 2024
aajtak.in
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो चुकी है और इस बार नवरात्रि का समापन 12 अक्टूबर, विजयादशमी यानी दशहरा पर होगा.
शारदीय नवरात्रि में दो दिन बहुत ही खास माने जाते हैं पहली अष्टमी तिथि और दूसरी नवमी तिथि. इसीलिए, इन्हें महाअष्टमी और महा नवमी कहते हैं.
महाअष्टमी तिथि के दिन नवदुर्गा के आठवें स्वरूप माता महागौरी की पूजी की जाती है. साथ ही महा नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है.
अष्टमी नवमी पूजन के दिन बहुत सारे लोग विशेष व्रत रखते हैं और इन दोनों दिन कन्या पूजन भी किया जाता है.
इस बार महाअष्टमी और महानवमी की तिथि को लेकर लोगों में बहुत ही असमंजस है. तो आइए जानते हैं महा अष्टमी और महा नवमी की सही तिथि.
इस बार आश्विन मास की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12:31 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 मिनट पर होगा.
वहीं, महानवमी की तिथि भी 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 मिनट से शुरू हो जाएगी और समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 मिनट पर होगा.
इसलिए, महाअष्टमी-महा नवमी इस बार एक ही दिन यानी 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इसी बीच कन्या पूजन किया जा सकता है.
इसके अलावा, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का भी निर्माण हो रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:25 मिनट से लेकर सुबह 6:20 मिनट तक रहेगा. इन योगों में भी कन्या पूजन किया जा सकता है.
इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त में भी कन्या पूजन किया जा सकता है. जिसका मुहूर्त सुबह 11:44 मिनट से लेकर दोपहर 12:31 मिनट तक रहेगा
इस दिन कम से कम 9 कन्याओं को आमंत्रित करें. मान्यतानुसार 2 से 10 वर्ष की कन्या उत्तम होती हैं. अलग अलग उम्र की कन्या देवी के अलग अलग रूप को बताती हैं.
उसके बाद उन्हें ऊंचे आसन पर बैठाकर उनकी पूजा करें. उनके चरण साफ जल से धुलाएं. उन्हें चुनरी ओढ़ाकर माला पहनाएं और फिर उन्हें सात्विक भोजन खिलाएं, विशेष रूप से हलवा पूरी खिलाएं.
भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा और उपहार देकर, चरण स्पर्श करके उन्हें श्रद्धापूर्वक विदा करें.