मेघा रुस्तगी
हम हमेशा अपने बड़े बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं कि पीरियड्स या माहवारी में महिलाओं को मंदिर नहीं जाना चाहिए.
सनातन धर्म में ऐसा माना जाता है कि माहवारी या पीरियड्स वो समय है जब महिलाएं अपवित्र और अशुद्ध हो जाती हैं जिसके कारण उनका मंदिर में प्रवेश निषेध कर दिया जाता है.
माहवारी या पीरियड्स में मंदिर में प्रवेश करना चाहिए या नहीं, इसे लेकर जया किशोरी ने अपनी राय रखी है.
जया किशोरी के मुताबिक, ''पीरियड्स के दौरान महिलाएं अंदरूनी रूप से बहुत ही कमजोर हो जाती है, जिसके कारण उन्हें इस समय आराम करने की सलाह दी जाती है. ''
जिसके कारण उन्हें घर पर ही रहने की सलाह दी जाती है ताकि कोई ओर बीमारी न हो जाए.
जया किशोरी आगे कहती हैं कि हमेशा से पूजा में शुद्धता का ख्याल रखने की बात की जाती है. लेकिन पुराने समय में पीरियड्स के दिनों में स्वच्छता के ज्यादा साधन नहीं होते थे, जिसके कारण महिलाओं को कपड़े का प्रयोग करना पड़ता था.
इसलिए, तभी से महिलाओं को पीरियड्स या माहवारी के दौरान आराम करने और अपना ख्याल रखने की सलाह दी गई.
आगे जया किशोरी कहती हैं कि, ''लोगों ने समय के साथ इसको एक रूढ़िवादी सोच का दर्जा दे दिया जिसके कारण कुछ लोगों ने इसमें नियम भी बना दिए.
जया किशोरी उदाहरण देते हुए कहती हैं कि, '' जब भगवान कृष्ण ने भी रजस्वला अवस्था में देवी द्रौपदी को छूआ था तो हमें ये चीजें नहीं सोचनी चाहिए. हमें भी समय के साथ अपनी सोच को बदलना चाहिए. ''