प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में कुछ वजहें बताईं हैं जिस कारण इंसान सुख, शांति, वैभव और एश्वर्य से वंचित रह जाता है.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि अगर इंसान के मन में लोलुप्ता आ जाए. इंसान हिंसा, छल-कपट, व्याभिचार और चोरी करने लगे तो इंसान की तरक्की तो होती है. लेकिन यह तरक्की क्षणिक होती है.
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि इस तरह से हासिल तरक्की हाइलोजन की तरह होती है. जो तुरंत फ्यूज हो जाएगी और जीवन को अंधकारमय कर जाएगी.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'जो तनिक अपमान से क्रोधित होकर दूसरे का अपकार करने लगता है तो उसकी पतन की शुरुआत वहीं शुरू हो जाती है. उपासक में तो अपमान सहन करना अमृत के समान है.'
प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं, 'अगर मन में हमेशा द्वेष भरी बातें आ रही हैं. क्रोध और द्वेष का चिंतन भी जीवन को नष्ट कर देता है. व्यवहार हो या परमार्थ गुस्सा हमे शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाता है.'
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'अगर कोई पशु-पक्षी या मनुष्य अपनी रक्षा के लिए भागकर आपके पास आया है. और आप रक्षा करने की बजाय उसे मार देते हैं या मरवा देते हैं तो इससे दुर्गति निश्चित है.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, जो इंसान पाप-कर्म को उत्साहित होकर करते हैं उसके पुण्य नष्ट हो जाएंगे. निडर और उत्साहित होकर पाप आचरण करने से दुर्गति निश्चित है.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, ऐसा इंसान जो सबके साथ ऐसा बर्ताव रखता है कि मैं सबसे श्रेष्ठ हूं. उसकी दुर्गति निश्चित है. किसी को भी नीच भाव से नहीं देखना चाहिए. सब भगवत स्वरूप ही हैं.'