संसार में हर इंसान दीर्घायु का सुख भोगना चाहता है, लेकिन यह सुख हर किसी के भाग्य में नहीं लिखा होता है.
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज ने इस बारे में ज्यादा जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि आखिर किन आचरणों से आयु का नाश होता है.
जो लोग ईश्वर में विश्वास नहीं रखते, शास्त्रों की अवहेलना करते हैं, नास्तिक बने रहते हैं, गुरु का अपमान करते हैं, उनकी आयु कम हो जाती है.
कुछ लोग दांत से नाखून चबाते हैं. कुछ जूठे और अपवित्र आहार के साथ दिन की शुरुआत करते हैं. ऐसी चेष्टाएं भी आयु नष्ट होने का कारण हैं.
जो लोग संध्याकाल में भोजन करते हैं या सोते रहते हैं, उनकी आयु भी क्षीण हो जाती है. इसलिए संध्याकाल में ये दो काम करने से बचें.
जो व्यक्ति ग्रहण या मध्यान्ह के समय सूर्य की ओर देखता है, उसकी आयु भी कम हो जाती है. इसलिए ये एक गलती कभी न करें.
दूसरे के मन को भेदने वाले वचन कभी मुंह से न निकालें. शास्त्रों में इसे महापाप कहा गया है और इसी वजह से ऐसे लोगों की आयु क्षीण हो जाती है.'
यदि कोई व्यक्ति दृष्टिहीन, निर्बल, कुरूप या निर्धन है. ऐसे लोगों के साथ हमेशा प्रेम से बात करें. उनका उपहास या जमाक कभी न बनाएं.