जीवन में धन, सुख और समृद्धि के लिए इंसान सारी उम्र मेहनत करता है. लेकिन उसकी एक छोटी सी भूल ये सब तबाह कर सकती है.
श्री हित प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि इंसान को ऐसी 10 आदतों का तुरंत त्याग कर देना चाहिए, जो उसकी दुर्गति का कारण बन सकती हैं.
जो इंसान अपने मुख से अपनी प्रशंसा करता है. ऐसे इंसान की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और उसके पुण्य भी नष्ट हो जाते हैं. इसलिए ऐसा न करें.
लालच, छल, कपट करने वालों के जीवन में सुख ज्यादा दिन नहीं टिकता है. लालच इंसान को नष्ट कर देता है. उसका सारा सुख छीन लेता है.
थोड़ा सा अपमान होने पर यदि बहुत ज्यादा क्रोध आने लगे तो यह आपके ही विनाश का कारण बन सकता है. मन में द्वेष कभी न आने दें.
यदि कोई पशु, पक्षी या मनुष्य आपकी शरण में आ जाए तो निश्चित ही आपको उसकी रक्षा करनी चाहिए. ऐसा न करने वालों के पुण्य नष्ट हो जाते हैं.
यदि कोई इंसान उत्साहित या प्रेरित होकर पाप कर रहा है तो ऐसे इंसान की दुर्गति होनी भी निश्चित है. ऐसे लोगों को ईश्वर कभी क्षमा नहीं करते.
मन में पराई स्त्री के साथ संभोग करने की भावना रखने वालों के पुण्य भी नष्ट हो जाते हैं. ये गलती कभी न करें.
खुद को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच कहने वाले लोगों की भी दुर्गति होती है. जो इंसान विषमता पर विजय प्राप्त करता है, वही भगवत प्राप्ति का अधिकारी है.
दान देने की बात कहकर मुकर जाना या दान देकर पश्चाताप करने वालों के भी पुण्य नष्ट हो जाते हैं. इसलिए दान देने की बात कहकर कभी पीछे न हटें.
अपनी आय घरवालों की जरूरतों पर खर्च करें. जरूरतमंद लोगों की मदद करें. ऐसा धन व्यर्थ है, जो किसी के काम न आ सका.
जो लोग बच्चे, बुजुर्ग, स्त्री या असहाय लोगों को नुकसान पहुंचाता है, ऐसे लोगों की दुर्गति भी निश्चित है. इसलिए ये गलतियां कभी न करें.