हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, धरती पर पाप करने वाले प्रत्येक मनुष्य को मृत्यु के बाद दंड भोगने के लिए नरक भेजा जाता है.
प्रेमानंद महाराज ने पाप करने वालों को आगाह करते हुए कहा है कि धरती पर मिलने वाला दंड केवल ब्याज है. मूल तो नरक में ही चुकाना होगा.
उन्होंने बताया है कि इंसान के छोटे से छोटे पाप का हिसाब होना तय है. गंगा स्नान या दान-धर्म के कार्य भी आपको दंडित होने से नहीं बचा पाएंगे.
प्रेमानंद महाराज ने तीन ऐसे बड़े पापों का जिक्र भी किया है, जिन्हें करने वालों को निश्चित ही नरक में यातनाएं भोगनी पड़ती हैं.
प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वालों को पहले खुद प्रकृति दंड देती है. इसके बाद उन्हें नरक में पाप भोगने पड़ते हैं. इसलिए कभी पेड़, पौधे, वृक्षों का नाश न करें.
गौसेवा, देव सेवा, गुरु सेवा, संत सेवा और जन सेवा आदि के कार्य करने की बजाए शास्त्रों का मजाक उड़ाने वालों को भी नरक के दुख भोगने पड़ते हैं.
भगवान को प्रसाद चढ़ाकर या गंगा स्नान करके आप धर्म विरुद्ध आचरण का पाप कम नहीं कर सकते हैं. इसका दंड अवश्य मिलता है.
शास्त्रों के अनुसार, जीवों के साथ हिंसा करने वालों के पापों का हिसाब भी नरक में होगा. ऐसे पापियों को भयंकर यातनाएं झेलनी पड़ेंगी.