By Aajtak.in
बुरे कर्मो का पुंज पाप है और अच्छे कर्मो का संग्रह पुण्य है. जीवन में पाप करना जितना आसान है, पुण्य कमाना उतना ही मुश्किल है.
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जो पुन्य कमाने के लिए इंसान सारी जिंदगी प्रयास करता है, वो जाने-अनजाने हुई 3 गलतियों से नष्ट हो जाते हैं.
गृहस्थ जीवन में कभी पहला भोग स्वयं नहीं लगाना चाहिए. पहली रोटी गाय को दें. दूसरी रोटी पक्षियों के लिए रखें. इसके बाद स्वयं उसका भोग करें.
जो लोग केवल अपने लिए अन्न पकाते हैं. न तो देवता, पशु-पक्षियों को अर्पित करता है और न ही अतिथि को परोसता है. ऐसे लोगों के पुण्य नष्ट हो जाते हैं.
जो लोग साधु-संतों या अतिथि को सम्मान नहीं देते हैं. उनका अनादर करते हैं. उनके पुण्य निश्चित ही नष्ट हो जाते हैं. ये एक गलती कभी न करें.
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि 3 चीजें हर किसी के घर में हैं- बैठने के लिए जगह, पीने के लिए पानी और मधुर वाणी. इनका प्रयोग अवश्य करें.
जो इंसान दूसरों के साथ छल-कपट करता है. अपने फायदे के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाता है. ऐसे लोगों के पुण्य भी नष्ट हो जाते हैं.
पराई स्त्री से संबंध, स्वर्ण की चोरी, दूसरे के घर की बर्बादी और विश्वासघात ये सब गलितयां भी पुण्यों को कम करती हैं.