सुख दुख, लाभ यश हानि जीवन का एक हिस्सा है. लेकिन कुछ लोग अपने जीवन में इतने निराश हो जाते हैं कि उन्हें लगता है कि भगवान को उनकी कोई परवाह नहीं है.
वहीं, कभी-कभी कुछ लोगों को जीवन में वैसा फल नहीं मिलता, जितना वो मेहनत करते हैं. जिसकी वजह से उन्हें निराशा का सामना भी करना पड़ता है.
जब वह व्यक्ति जीवन में निराशा का सामना करता है तो वह कमजोर होने लगता है.
दरअसल, श्री प्रेमानंद जी महाराज ने कमजोर से लेकर जीवन में कभी तरक्की न कर पाने वाले लोगों की पहचान बताई.
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि सही बात सुनने के लिए भी छाती में बल चाहिए. अगर तुमने इस बात को सुन और समझ लिया तो तुम गृहस्थ में रहते हुए भी महाशक्तिशाली बन सकते हो. पर आज हम खुद अपनी शक्ति खो रहे हैं, इसलिए क्रोधित भी हो रहे हैं.
वो कहते हैं कि जो लोग सबसे ज्यादा क्रोधित होते हैं वो कमजोर होता है. कामना युक्त व्यक्ति को भी क्रोध आता है. बलवान क्रोधित नहीं होता है, बलवान क्षमा करने वाला होता है.
उनके मुताबिक जो लोग सोचते हैं कि मैं सब कुछ कर रहा हूं, मैंने सब कुछ किया है, ऐसी भावना रखने वाले लोग हमेशा दुखी रहते हैं.
वह अपने इसी अहंकार में ईश्वर से दूर चले जाते हैं. उन्हें लोगों से बहुत सारी शिकायतें रहती हैं, जो उन्हें अकेला कर देती हैं. इसकी वजह से उन्हें दुख का सामना करना पड़ता है.
धीरे धीरे उन लोगों में अहंकार आने लगता है. लेकिन, एक समय में अहंकार को भी त्यागना पड़ता ही है. क्योंकि, हर कार्य में ईश्वर का हाथ है.
यानी जो भी कर रहा है ईश्वर कर रहा है. उसकी बिना मर्जी सांस भी नहीं लिया जा सकता, जिस दिन इस बात को समझ लेंगे. सभी तरह के दुख अपने आप दूर हो जाएंगे.