वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार वरुथिनी एकादशी 16 अप्रैल यानी आज है.
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, राक्षस कुल में जन्मे राजा मान्धता को वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से ही अंत में मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.
वरुथिनी एकादशी पर विष्णु जी की उपासना से मनचाहा फल प्राप्त होता है. वरुथिनी एकादशी पर पांच गलतियां करने से बचना चाहिए.
एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए. यदि पत्ते बेहद आवश्यक हैं तो आप एक दिन पहले ही इन्हें तोड़कर रख लें.
तुलसी में मां लक्ष्मी का वास है और एकादशी के दिन मां लक्ष्मी विष्णु जी के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, इसलिए जल देने से उनका व्रत खंडित होता है.
एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है. शास्त्रों के अनुसार, एकादशी पर बैंगन खाने से भी परहेज करना चाहिए.
वरुथिनी एकादशी के दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें. इस दिन प्याज, लहसुन, मांस या मदिरा के सेवन से भी परहेज करें.
वरुथिनी एकादशी के दिन लड़ाई-झगड़ा न करें. किसी के बारे में बुरा न सोचें. द्वार पर आए लोगों का अपमान न करें. क्रोध से बचें.