इस साल वट सावित्री व्रत शुक्रवार, 19 मई को रखा जाएगा. यह व्रत यमराज से अपने पति के प्राण वापस लाने वाली सावित्री को समर्पित है.
आइए आज आपको बताते हैं कि सावित्री कौन थी और उन्होंने किस चतुराई के साथ अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से बचाए थे.
सावित्री मद्र देश के राजा अश्वपति की तेजस्वी पुत्री थी. सावित्री ने राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को अपना वर चुना था.
राजा द्युमत्सेन का राज-पाठ छिन चुका था और वह वन में रहने लगे. सावित्री जब सत्यवान के साथ महल गईं तो नारद ने एक भविष्यवाणी की.
उन्होंने कहा कि सत्यवान शादी के 12 साल बाद मर जाएगा. ये सुनकर राजा ने सावित्री से दूसरा वर चुनने को कहा. लेकिन सावित्री नहीं मानी.
आखिरकार सावित्री का सत्यवान से विवाह हो गया. जब सत्यवान की मृत्यु का समय करीब आया तो सावित्री ने व्रत रखना शुरू कर दिया.
एक दिन सत्यवान जब जंगल में लकड़ी काट रहा था, तभी उसकी मृत्यु हो गई और यमराज उसके प्राण लेकर जाने लगे.
यह देख सावित्री भी उनके पीछे आ गई. यमराज के लाख समझाने पर सावित्री ने वापस लौटने से इनकार कर दिया.
सावित्री की यह निष्ठा देख यमराज प्रसन्न हो गए और उन्होंने उसे तीन वरदान मांगने को कहा. सावित्री ने बड़ी चतुराई के साथ वरदान मांगे.
सावित्री ने सास-ससुर के लिए आंखें, खोया हुआ राज-पाठ और 100 पुत्रों का वरदान मांगा. यमराज ने उसे ये तीनों वरदान दे दिए.
इसके बाद सावित्री ने कहा, 'आपने मुझे 100 पुत्रों का वरदान दिया है और मेरे पति के प्राण आपके पास हैं. पति के बिना भला ये कैसे संभव है.'
यह चतुराई देख यमराज प्रसन्न हो गए. उन्होंने सत्यवान के प्राण लौटा दिए. जैसे ही सावित्री पति को लेकर वट के नीचे गईं वो जीवित हो उठे.