जिसने जन्म लिया है, उसे एक न एक दिन अपने प्राण त्यागने ही पड़ते हैं. लेकिन लोगों के मन में एक सवाल हमेशा रहता है कि मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है?
वृंदावन के मशहूर बाबा प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में बताया है कि मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है. वो कहते हैं वृद्धावस्था के कारण इंसान का रूप बिगड़ जाता है. शरीर रोगी हो जाता है तो उसे घोर चिंता होने लगती है कि मृत्यु के बाद क्या होगा?
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'इंसान अपनी अंतिम अवस्था में रूखी-सूखी रोटी खाकर अपना जीवन निर्वाह कर रहा होता है. लेकिन फिर भी उसे भगवान की याद नहीं आती है. वह हमेशा यही सोचता रहता है कि पृथ्वी छूट जाएगी.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'मृत्यु का समय जब निकट आता है तो वायु उत्क्रमण से पुतलियां चढ़ जाती हैं. सांस-नलकियों में वायु का आना-जाना रुक जाता है.
इंसान मृत्यु के निकट होने के बावजूद महान कष्ट होते हुए भी अपने परिवार का चिंतन करता है. अंतिम समय में भी भगवान का नाम ना जप कर घर-परिवार के मोह से जुड़ा रहता है.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, जैसे किसी घोर अपराधी को कोई सिपाही बांधता है. उसी प्रकार मोह-माया में पड़े लोगों को यमलोक की लंबी यात्रा कराई जाती है.
'भूख-प्यास से उसे बेचैन कर दिया जाता है. अगर यहां उसने किसी की भूख नहीं मिटाई होगी तो रास्ते में भी खाना नहीं मिलेगा. ये कर्मभूमि है. यहां सबका हिसाब होता है.'
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'वहां एक-एक कर्म का हिसाब किया जाता है. आपका अंतिम फाइनल ही आपका अंतिम चिंतन होता है. आपका चिंतन आपके कर्मों पर निर्भर करता है.'