06 Sep 2024
By: Aajtak.in
आज (7 सितंबर 2024) को पूरे देश में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है.
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सभी लोग हर्षोल्लास के साथ अपने घर गणपति की स्थापना करेंगे और अगले 10 दिनों तक विधि-विधान से रोजाना गणेशजी की पूजा की जाएगी.
सभी बप्पा की मूर्ति स्थापित कर उसके माध्यम से गणेश जी तक अपनी बात और समस्याओं को पहुंचाएंगे.
गणपति उत्सव के मौके पर गणपति की मूर्तियां अलग-अलग रंगों में आती हैं, जिनकी शक्ति भी अलग-अलग होती हैं.
आज हम आपको बताएंगे कि अलग-अलग रंग के गणपति की मूर्तियों का महत्व क्या है और कैसे आप उन्हें स्थापित कर किस तरह अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं.
बाजार में मौजूद अलग-अलग रंग के गणपति व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी करने में सक्षम हैं.
हल्दी के समान पीले होने के कारण इन्हें हरिद्रा गणपति कहा जाता है और इनकी छह भुजाएं होती हैं. पीले गणपति को घर के मुख्य पूजा स्थल पर स्थापित करना चाहिए और इनकी उपासना से सुख-समृद्धि आती है.
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यूं तो लाल रंग के बहुत सारे गणेश जी होते हैं, लेकिन विशेष रूप से चार भुजा वाले लाल गणपति की पूजा की जाती है. इनको संकष्टहरण गणपति कहा जाता है और इन्हें दूर्वा अर्पित करके अगर आप प्रार्थना करें तो हर संकट टल जाता है.
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सफेद रंग के चार भुजाधारी गणपति को शुभ्र या द्विज गणपति कहा जाता है. इनकी उपासना से ज्ञान और बुद्धि का वरदान मिलता है. कर्ज को दूर करने के लिए भी इनकी पूजा की जाती है.
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नीले वर्ण वाले गणपति को उच्छिष्ट गणपति कहा जाता है. इनकी चार भुजाएं होती हैं. सामान्य रूप से इनकी पूजा नहीं की जाती. तंत्र की विशेष पूजा में नीले रंग के गणपति की स्थापना की जाती है. उच्च पद प्राप्त करने और तंत्र-मंत्र से बचान के लिए इनकी उपासना की जाती है.
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