गलत लोगों को पलटकर जवाब दें या नहीं, प्रेमानंद महाराज ने बताया

हमारे जीवन में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमेशा हमारी बुराई चाहते हैं या हमारे ऊपर अनर्गल टीका-टिप्पणी करते रहते हैं.

प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में बताया है कि ऐसे गलत लोगों को पलट कर जवाब देना चाहिए या सहन कर लेना चाहिए.

प्रेमानंद महाराज कहते हैं, सब चीज की एक सीमा होती है. सहने की भी एक सीमा है. अगर कोई हमारे धर्म को लेकर टीका-टिप्पणी करे तो हम नहीं सहेंगे.

प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'पहली बात अगर हम सामर्थ्य हैं तो धर्म की रक्षा तत्काल करेंगे. हम हाथ जोड़े नहीं खड़े रहेंगे. इसके लिए हमारा भारतीय कानून है.

प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि हमें अवसर देखना है. कहीं, बुद्धिबल से, कहीं शारीरिक बल से तो कहीं, कानूनी बल से काम लेना है.

यदि कोई धर्म विरुद्ध आचरणों में उतर चुका है तो वहां क्षमा नहीं बल्कि कानून अपना काम करेगी. हमें यह समझना बहुत जरूरी है कि हमें कहां क्षमा करना है और कहां विरोध करना है.

जहां तक हम सहन कर सकते हैं वहां तक हमें सहन करना है. उसके बाद विनय के द्वारा, प्रलोभन के द्वारा या आखिर में दंड-भय के द्वारा हमें उसका विरोध करना चाहिए.

अगर गलत करने वाला राक्षसी भाव में आ गया है तो उसके राक्षसी भाव का उत्तर राक्षसी भाव से दिया जा सकता है. लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना है कि कानून को अपने हाथ में नहीं लेना है.