भगवान गणेश न केवल प्रथम पूज्य हैं बल्कि विघ्ननहर्ता भी हैं.
इनकी कृपा से घर के समस्त वास्तु दोषों का नाश हो जाता है.
मुख्य द्वार, पूजा स्थान, रसोई घर और कार्यस्थल के सारे वास्तु दोष गणेश जी की मूर्ति से नष्ट हो सकते हैं.
गणेश जी की बहुत सारी मूर्ति या तस्वीर घर में न रखें.
पूजा स्थान पर एक साथ गणेश जी की तीन मूर्तियां कभी नहीं रखनी चाहिए.
गणेश जी की वही प्रतिमा घर में स्थापित करें, जिसमें उनकी सूंड़ बाएं तरफ हो.
दाएं हाथ की ओर घुमी हुई सूंड़ वाले गणेशजी हठी होते हैं तथा उनकी साधना-आराधना कठिन होती है.
मूर्ति की ऊंचाई बारह अंगुल से ज्यादा न हो तो बेहतर होगा.
पीले वर्ण के गणपति सर्वोत्तम माने जाते हैं.
गणेश जी को कभी भी तुलसी दल अर्पित न करें.
बच्चों के पढ़ने की मेज पर या बच्चों के कमरे में पीले या हल्के हरे रंग की गणेश जी की मूर्ति ही रखें.
शयन कक्ष में गणपति की प्रतिमा बिलकुल न रखें.
घर में बैठे हुए गणेशजी तथा कार्यस्थल पर खड़े गणेशजी का चित्र लगाना चाहिए.
ध्यान रखें कि खड़े गणेशजी के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करते हुए हों, इससे कार्य में स्थिरता आती है.
इस तरह आप बिना किसी तोड़-फोड़ के गणपति पूजन द्वारा घर के वास्तु दोष दूर कर सकते हैं.