वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज को हर कोई जानता है. सभी ने उनके आशीष वचन सोशल मीडिया पर वीडियोज में सुने ही होंगे.
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प्रेमानंद महाराज का जन्म अखरी गांव, सरसौल ब्लॉक, कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. घर का वातावरण अत्यंत भक्तिमय, अत्यंत शुद्ध और शांत के कारण उनका झुकाव भी भक्ति की ओर हो गया.
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मात्र तेरह साल की छोटी उम्र में, एक दिन सुबह 3 बजे महाराज ने अपना घर छोड़ दिया था और अब आज उनके पास देश के बड़े से बड़े लोग पहुंचते हैं.
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कई वीडियोज ऐसे हैं जिसमें प्रेमानंद महाराज एक महाराज की आरती करते दिख रहे हैं और उनके पैर भी छू रहे हैं. क्या आप जानते हैं वो कौन हैं?
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प्रेमानंद महाराज जिनसे आशीर्वाद लेते हैं वो वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर के तिलकायत अधिकारी श्रीहित मोहित मराल महाराज हैं.
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मोहित मराल महाराज से जब भी प्रेमानंद महाराज मिलते हैं तो वह उनके पैर छूते हैं और उनसे आशीर्वाद भी लेते हैं.
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'जब प्रेमानंद जी वाराणसी से वृंदावन आए थे, तब उनकी प्रारंभिक दिनचर्या में वृन्दावन परिक्रमा और श्री बांकेबिहारी के दर्शन शामिल थे.'
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'एक बार जब महाराज परिक्रमा कर रहे थे, तब उन्होंने एक महिला को कुछ पद गाते हुए सुना. फिर संस्कृत में पारंगत होने के बावजूद भी उस पद का मतलब समझ नहीं आया.'
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'इसके बाद प्रेमानंद महाराज ने महिला के पास जाकर उस पद का मतलब पूछा तो महिला मुस्कुराईं और उनसे कहा कि यदि वह इस श्लोक को समझना चाहते हैं तो उन्हें राधावल्लभी बनना होगा.'
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'इसके बाद प्रेमानंद महाराज राधावल्लभ मंदिर पहुंचे और वहां जाकर मोहित मराल महाराज जी से मिले. आदर सत्कार ग्रहण करने के बाग प्रेमानंद महाराज को मोहित मराल महाराज ने उनको शरणागत मंत्र दिया और दीक्षा दी.'
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