गणेश जी की पूजा में एक खास तरह की घास का इस्तेमाल किया जाता है जिसे दूर्वा कहते हैं.
दूर्वा गणेश जी को बहुत प्रिय है. इसके बिना गणपति की पूजा अधूरी मानी जाती है.
गणेश जी को दूर्वा की 21 गांठें चढ़ाई जाती हैं.
21 गांठों को एकसाथ जोड़कर एक गुच्छा तैयार किया जाता है.
आइए जानते हैं गणेश जी की पूजा में क्या है दूर्वा का विशेष महत्व.
पौराणिक कथा के अनुसार अनलासुर नाम का एक राक्षस था जिसका आंतक चारों तरफ फैला हुआ था.
कोई भी देवता अनलासुर को नहीं मार पा रहे थे.
अनलासुर के आंतक से परेशान सभी देवता अंत में गणेश जी की शरण में गए.
तब भगवान गणेश ने अनलासुर को निगल लिया था.
मान्यताओं के अनुसार अनलासुर को निगलने के बाद गणेश जी के पेट में बहुत जलन होने लगी थी.
जलन को शांत करने के लिए ऋषि-मुनियों ने उन्हें खाने के लिए दूर्वा घास दी थी.
दूर्वा खाते ही गणेश जी के पेट की जलन शांत हो गई थी.
तभी से भगवान गणेश को दूर्वा प्रिय हो गई और उनकी पूजा में दूर्वा चढ़ाई जाने लगी.
हमेशा ध्यान रखें कि दूर्वा किसी साफ जगह से ही तोड़नी चाहिए.
दूसरी बात यह कि दूर्वा की घास पूरी लंबी और साफ होनी चाहिए.