दक्षिणध्रुवीय महासागर, जिसे अंटार्कटिक महासागर भी कहते हैं, उसे लेकर नई चिंता जताई जा रही है.
ग्लोबल वार्मिंग के कारण वहां की बर्फ तेजी से पिघल रही है, ये बात कई बार कही जा चुकी.
इससे होने वाले नुकसान पर भी बात होने लगी है, लेकिन अब जो चेतावनी आ रही है, वो डरा देने वाली है.
बर्फ इतनी तेजी से पिघल रही है कि इससे महासागर के भीतर स्लोडाउन के हालात बन रहे हैं.
समुद्र के भीतर का बहाव हल्का पड़ता जा रहा है. इससे दुनियाभर के पानी के स्त्रोतों में ऑक्सीजन की कमी होने लगेगी.
स्टडी में बताया गया कि कैसे अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने का असर डीप ओशन करंट्स पर पड़ेगा.
जब बर्फ ज्यादा पिघलेगी तो अंटार्कटिका का पानी पतला और कम नमक वाला हो जाएगा. इससे गहरे समुद्र के भीतर का बहाव धीमा पड़ जाएगा.
समुद्र के भीतर का प्रवाह कम होते ही 4 हजार मीटर से ज्यादा गहराई वाले हिस्सों में पानी का प्रवाह ही रुक जाएगा. ये एक तरह के दलदल जैसी स्थिति होगी.
धाराओं के जरिए ही मछलियों और बाकी समुद्री जीवों तक पोषण और ऑक्सीजन पहुंचता है. ऐसा हुआ तो हर तरफ खलबली मच जाएगी. विस्तार से नीचे पढ़ें.