29 Sep 2024
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दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए सरकार ने आर्टिफिशियल बारिश करवाने की योजना बनाई है.
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Artificial Rain से स्मॉग और प्रदूषण से कुछ दिनों की निजात मिल जाती है.
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तो चलिए जानते हैं कृत्रिम बारिश Artificial Rain के लिए क्या-क्या जरूरी है?
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Artificial Rain के लिए पहले हवा की गति और दिशा का ध्यान रखना होता है. इसके साथ ही आसमान में 40 फीसदी बादल होने चाहिए. उसमें पानी होना चाहिए.
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आर्टिफिशियल बारिश के लिए वैज्ञानिक आसमान में एक तय ऊंचाई पर सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और साधारण नमक को बादलों में छोड़ते हैं. इसे क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) कहते हैं.
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अभी तक इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं कि ऐसी बारिश से प्रदूषण कम होगा या नहीं, या कितना कम होगा.
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सही बादल से सामना होते ही केमिकल छोड़ दिया जाता है. इससे बादलों का पानी जीरो डिग्री सेल्सियस तक ठंडा हो जाता है.
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जिससे हवा में मौजूद पानी के कण जम जाते हैं. कण इस तरह से बनते हैं जैसे वो कुदरती बर्फ हों. इसके बाद बारिश होती है.
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दिल्ली में अगर कृत्रिम बारिश होती है, तो उस पर करीब 10 से 15 लाख रुपए का खर्च आएगा.
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वैज्ञानिकों के अनुसार कृत्रिम बारिश स्मोग या गंभीर वायु प्रदूषण का स्थाई इलाज नहीं है. इससे 4-5 या 10 दिन कर राहत मिलती है.
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