29 Feb 2024
अलग-अलग भावनाएं शरीर के तापमान और रंगत को बदल देती हैं. हालांकि अलग-अलग देश, राज्य, भौगोलिक स्थितियों में यह अलग-अलग होता है. जरूरी नहीं कि भारत में कोई गुस्से में लाल हो तो वैसा ही साइबेरिया में हो.
वैज्ञानिकों ने हाल ही ऐसी ही एक स्टडी की. यह स्टडी इसलिए जरूरी है कि भविष्य में इन्हीं रंगों और तापमानों के आधार पर भावनाओं से संबंधित मानसिक बीमारियों को ठीक किया जा सकेगा.
स्टडी के मुताबिक, जब आप अपने किसी प्रिय, प्रेमी या प्रेमिका से मिलने जाते हैं, तब आप की चाल बड़ी हल्की होती है. दिल एक्साइटमेंट में तेजी से धड़कता है.
जबकि एंग्जाइटी यानी बेचैनी या व्यग्रता में आपकी मांसपेशियां खिंच जाती हैं. हाथों से पसीने आने लगते हैं. ऐसा ज्यादातर नौकरी के लिए होने वाले इंटरव्यू के दौरान होता है.
वहीं, अगले हफ्ते किसी लड़की की शादी हो रही हो, तो वह यह सोच-सोचकर अपने पैर ठंडे कर लेती हैं.
प्यार में धोखा खाए हुए लोगों को दिल क्यों टूट जाता है. ये भावना ही है. दिल थोड़े ही शरीर के अंदर कांच की तरह टूटता है. बस गति सामान्य से धीमी ये तेज हो जाती है.
हर भावना में आपके शरीर का तापमान और रंग बदल जाता है. चाहे वह गुस्सा हो, डर हो या खुशी ही क्यों न हो.
लेकिन वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि भौगोलिक बदलाव होने पर इनमें बदलाव कैसे आ जाता है. इसकी स्टडी हो रही है.