बाहर कोहरा है या प्रदूषण? सर्दियों में कैसे करें फर्क 

8 March, 2022


हर साल सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. 

Pic Credit: urf7i/instagram

यह वही वक्त होता है, जब जाड़े का मौसम दस्तक देता है. जाड़ों में कोहरा पड़ना एक आम बात है. 

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वायु प्रदूषण का आलम यह है कि जाड़े में लोग लोग कोहरे (fog) और स्मॉग (Smog) में फर्क नहीं कर पाते हैं. 

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कोहरा इस मामले में अलग है कि इसमें वायु प्रदूषण जनित स्मॉग की तरह धुआं नहीं भरा होता. 

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वायु प्रदूषण जनित स्मॉग में सांस लेना जानलेवा हो सकता है. हालांकि, फॉग इतना खतरनाक नहीं होता. 

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जब हवा में मौजूद जलवाष्प ठंड से घनीभूत हो जाता है तो पानी की बूंदें हवा में जगह बना लेती हैं. 

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इससे वातावरण में एक सफेद चादर सी नजर आने लगती है, जिसे कोहरा या फॉग कहा जाता है. 

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वहीं, स्मॉग एक तरह से धुएं और स्मॉग का मिश्रण होता है. यह जानलेवा साबित हो सकता है.

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स्मॉग में सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैस होती है. ये गैस कारों के प्रदूषण, फैक्ट्रियों के धुएं और पराली जलाने से उत्पन होती है.

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फॉग के उलट अगर आप स्मॉग वाले वातारण में सांस लेंगे तो आपको महक भर से दोनों का फर्क पता चल जाएगा. 

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अमूमन फॉग से वातावरण का रंग सफेद हो जाता है, जबकि स्मॉग की वजह से वातावरण ग्रे कलर का नजर आता है. 

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