हर साल सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.
यह वही वक्त होता है, जब जाड़े का मौसम दस्तक देता है. जाड़ों में कोहरा पड़ना एक आम बात है.
वायु प्रदूषण का आलम यह है कि जाड़े में लोग लोग कोहरे (fog) और स्मॉग (Smog) में फर्क नहीं कर पाते हैं.
कोहरा इस मामले में अलग है कि इसमें वायु प्रदूषण जनित स्मॉग की तरह धुआं नहीं भरा होता.
Pic Credit: urf7i/instagramवायु प्रदूषण जनित स्मॉग में सांस लेना जानलेवा हो सकता है. हालांकि, फॉग इतना खतरनाक नहीं होता.
Pic Credit: urf7i/instagramजब हवा में मौजूद जलवाष्प ठंड से घनीभूत हो जाता है तो पानी की बूंदें हवा में जगह बना लेती हैं.
इससे वातावरण में एक सफेद चादर सी नजर आने लगती है, जिसे कोहरा या फॉग कहा जाता है.
वहीं, स्मॉग एक तरह से धुएं और स्मॉग का मिश्रण होता है. यह जानलेवा साबित हो सकता है.
Pic Credit: urf7i/instagramस्मॉग में सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैस होती है. ये गैस कारों के प्रदूषण, फैक्ट्रियों के धुएं और पराली जलाने से उत्पन होती है.
फॉग के उलट अगर आप स्मॉग वाले वातारण में सांस लेंगे तो आपको महक भर से दोनों का फर्क पता चल जाएगा.
अमूमन फॉग से वातावरण का रंग सफेद हो जाता है, जबकि स्मॉग की वजह से वातावरण ग्रे कलर का नजर आता है.