फिलिस्तीन और इजरायल में जंग खतरनाक हो चुकी है. छोटे से आतंकी संगठन हमास के बारे में शक जताया जा रहा है कि उसे कई बड़ी ताकतें सपोर्ट कर रही हैं ताकि इजरायल को नुकसान पहुंचाया जा सके.
इसी बीच फिलिस्तीन ने आरोप लगाया कि इजरायल उसकी घनी आबादी वाले इलाकों पर प्रतिबंधित फॉस्फोरस बम गिरा रहा है. उसने इजरायल को वॉर क्रिमिनल तक कह दिया.
वाइट फॉस्फोरस बम सफेद फॉस्फोरस और रबर को मिलाकर तैयार होता है. फॉस्फोरस मोम जैसा केमिकल है, जो हल्का पीला या रंगहीन होता है.
इससे सड़े हुए लहसुन जैसी तेज गंध आती है. इस रासायनिक पदार्थ की खूबी ये है कि यह ऑक्सीजन के संपर्क में आते भी आग पकड़ लेता है, और फिर ये पानी से भी बुझाया नहीं जा सकता.
ऑक्सीजन के लिए रिएक्टिव होने की वजह से जहां भी गिरता है, उस जगह की सारी ऑक्सीजन तेजी से सोखने लगता है.
ऐसे में जो लोग इसकी आग से नहीं जलते, वे दम घुटने से मर जाते हैं. ये तब तक जलता रहता है, जब तक कि पूरी तरह से खत्म न हो जाए.
फॉस्फोरस बम चूंकि 13 सौ डिग्री सेल्सियस तक जल सकता है इसलिए ये आग से कहीं ज्यादा जलन और जख्म देता है. यहां तक कि ये हड्डियों को गला सकता है.
कई बार ये त्वचा से होते हुए खून में पहुंच जाता है. इससे हार्ट, लिवर और किडनी सबको नुकसान पहुंचता है, और मरीज में मल्टी-ऑर्गन फेल्योर हो सकता है.
इस बम के खतरों को देखते हुए साल 1980 में जेनेवा कन्वेंशन में वाइट फॉस्फोरस को लगभग प्रतिबंधित किया गया.
कन्वेंशन ऑन सर्टेन कन्वेंशनल वेपन (CCW) के तहत जो प्रोटोकॉल बना, उसमें इसके कम से कम उपयोग की बात मानते हुए 115 देशों ने हस्ताक्षर किए.
तय किया गया कि अगर इस बम का इस्तेमाल रिहायशी इलाकों में हुआ तो इसे केमिकल अटैक माना जाएगा, और देश पर वॉर क्राइम के तहत एक्शन हो सकता है.