45 करोड़ साल से जिंदा है ये मछली! कर चुकी है डायनासोर का शिकार

27 Sept 2023

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उत्तरी प्रशांत महासागर में पाई जाने वाली पैसिफिक लैम्प्रे बिना जबड़े की मछली होती है. 

ये होती है बिना जबड़े के मछली

यह मछलियों के प्राचीन समूह अगनाथा से आती है. यह समूह 45 करोड़ साल से धरती पर मौजूद है.

45 करोड़ साल से धरती पर मौजूद

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बता दें, इस मछली ने डायनासोरों का भी खून चूसा है और पेड़ों को भी सुखाया है. इसका वैज्ञानिक नाम एंटोसफेनस ट्राइडेंटस (Entosphenus tridentatus) है. 

एंटोसफेनस ट्राइडेंटस है वैज्ञानिक नाम

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ये मछली आमतौर पर कैलिफोर्निया से अलास्का और बेरिंग सागर में पाई जाती है.  यानी रूस से लेकर जापान के तटों तक ये मछली पाई जाती है. 

बेरिंग सागर में ही पाई जाती है ये मछली

ये मछली प्रशांत महासागर की सैलमन, फ्लैटफिश, रॉकफिश और हेक का खून पीती है. 

खून पीकर जीती है ये मछली

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इस समय दुनियाभर में इस मछली की 40 प्रजातियां मौजूद हैं. यह ईल मछली जैसी दिखती है. लेकिन इसके जबड़े नहीं होते. 

इस मछली की 40 प्रजातियां मौजूद

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लैम्प्रे मछलियां आमतौर पर बिना हड्डियों के होती हैं. इनके शरीर की सारी हड्डियां कार्टिलेज से बनी होती हैं. 

कार्टिलेज से बना होता है शरीर

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जबड़े के बजाय इनका मुंह खून चूसने के हिसाब से बना है. चारों तरफ छोटे-छोटे दांत हैं. इसके जरिए ये शिकार से चिपक जाते हैं.

छोटे-छोटे में चिपक जाता है शिकार

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