जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम से हमला करने के बाद दूसरा विश्व युद्ध (Second World War) समाप्त हो गया था.
लेकिन इसके लगभग 10 साल बाद वियतनाम में एक और युद्ध शुरू हुआ था. जिसे वियतनाम वॉर (Vietnam War) कहा जाता है. यह युद्ध लगभग 20 साल तक चला था.
माना जाता है कि इस युद्ध में अमेरिका की हार हुई थी. डेली मेल के मुताबिक, अमेरिका के 60 हजार से ज्यादा सैनिकों की इस युद्ध में मौत हो गई थी.
माना जाता है कि इस युद्ध में अमेरिका की हार हुई थी. डेली मेल के मुताबिक, अमेरिका के 60 हजार से ज्यादा सैनिकों की इस युद्ध में मौत हो गई थी.
यह युद्ध जीतने के लिए अमेरिका ने तमाम कोशिशें की थीं. लेकिन उनकी एक न चल सकी. अमेरिकी सैनिकों युद्ध के दौरान लोगों को इतने टॉर्चर दिए और कई अजीबोगरीब प्रयोग किए जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाए.
इन्ही में से एक प्रयोग था एंपटी प्रेगनेंसी प्रोलैक्टीन (Empty Pregnancy Prolactin) एक्सपेरिमेंट. अमेरिकी सेना ने यहां महिलाओं को एंपटी प्रेगनेंसी प्रोलैक्टीन देना शुरू कर दिया था.
इसे चार्म मेडिसिन भी कह सकते हैं. इसके अंदर कोरियोनिक प्रोफिलिसिन और पिट्यूटरी पोस्टीरियर लीफ पिगमेंट होता है. इसका इस्तेमाल कर महिलाएं काफी उत्तेजित हो जाती हैं.
उनके शरीर और दिमाग में डैमेज होना शुरू हो जाता है. और वे ठीक तरह से सोच नहीं पातीं. ऐसे में वे उत्तेजना में आकर अमेरिकी सैनिकों को कई खुफिया जानकारियां दे देती थीं.
एंपटी प्रेगनेंसी प्रोलैक्टीन के कई साइड इफेक्ट होते हैं, जिनका खामियाजा कई सालों तक वियतनाम की महिलाओं को भुगतना पड़ा था.
प्रोलैक्टीन एक तरह का हारमोन होता है, जिसे मिल्क प्रोडक्शन हारमोन भी कहा जाता है. यह हारमोन हमारे दिमाग में स्थित पीयूष ग्रंथि से रिलीज होता है.
यह हारमोन गर्भवती महिलाओं और नई-नई मां बनीं महिलाओं में ज्यादा रिलीज होता है. जिससे महिलाओं के स्तनों में अधिक दूध आता है.
असमान्य तरीके से यदि प्रोलैक्टीन हारमोन रिलीज होने लग जाए तो उससे महिलाओं को पीरियड्स की प्रोब्लम हो जाती है. यानी लगातार पीरियड्स आते रहते हैं. इससे इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ जाती है.
मिल्क डिस्चार्ज और अर्ली मेंडपाउस जैसी समस्याएं भी महिलाओं में शुरू हो जाती हैं. कई बार यह कैंसर का कारण भी बन जाता है. इसमें कई बार नवजात बच्चों में भी कैंसर के लक्षण नजर आते हैं. या उनमें कई शारीरिक कमियां देखने को मिलती हैं.
इस एक्सपेरिमेंट का असर आज भी यहां देखने को मिलता है. इसलिए आज भी जब यहां की महिलाएं प्रेग्नेंट होती हैं तो वे अमेरिकी एक्सपेरिमेंट को याद करके सिहर उठती हैं. कि कहीं उनके होने वाले बच्चे में कोई शारीरिक कमी न निकले.