ग्लोबल वॉर्मिंग की चपेट में उत्तराखंड के ग्लेशियर, बड़ी आपदा की चेतावनी!

2 July 2024

ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभावों का सामना पूरी दुनिया कर रही है और इसका सीधा असर हिमालय के ग्लेशियरों पर भी दिख रहा है. ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं.

ग्लेशियर के पिघलने से न केवल भविष्य में पानी का संकट बढ़ सकता है, बल्कि पिघलते ग्लेशियरों से बनने वाली झीलें भी बड़े खतरे का संकेत दे रही हैं.

वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तराखंड में पांच झीलें चिह्नित की गई हैं, जिनमें से दो विशेष रूप से संवेदनशील हैं.

इन झीलों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है, क्योंकि अगर ये झीलें कभी फटीं, तो इनके रास्ते में आने वाले गांव और परियोजनाएं तबाह हो सकती हैं, और कई लोगों की जान भी जा सकती है. 

वैज्ञानिक सैटेलाइट की मदद से इन झीलों पर कड़ी नजर रख रहे हैं और उत्तराखंड प्रशासन भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखा रहा है.

भागीरथी कैचमेंट में स्थित खतलिंग ग्लेशियर के तेजी से पिघलने के कारण 4750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भिलंगना झील का आकार बढ़ रहा है. पिछले 47 सालों में भिलंगना झील का क्षेत्रफल 0.38 स्क्वायर किलोमीटर बढ़ा है.

उत्तराखंड की वसुधरा झील और भागीरथी झील समेत अन्य तीन झीलों पर भी मॉनिटरिंग बढ़ा दी गई है. पिथौरागढ़ में भी तीन हाई-रिस्क झीलें चिन्हित की गई हैं. 

आपदा प्रबंधन के अनुसार, इन झीलों की स्थिति को देखते हुए डिस्चार्ज क्लिप पाइप्स लगाए जाएंगे, जिनकी मदद से झीलों का पानी धीरे-धीरे निकाला जा सकेगा.