इंसान चौबीस घंटों में अलग-अलग समय पर एनर्जी से भरपूर होता है. लेकिन दोपहर एक ऐसा समय है, जिसमें ज्यादातर लोग खुद को थका या उदास महसूस करते हैं.
वैज्ञानिकों की मानें तो दिन के किसी एक समय में एनर्जी का गिरना कई संकेत देता है. ये बाईपोलर डिसऑर्डर हो सकता है, या शरीर में ग्लूकोज की कमी भी.
मेलबॉर्न की स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (SUT) ने एनर्जी लेवल घटने और ब्रेन के बीच सीधा संबंध खोज निकाला.
शोध के मुताबिक, ब्रेन का न्यूरल पाथवे हमेशा तारीफों की तलाश में रहता है. जैसे ही कोई हमारे किसी काम की तारीफ करता है,
न्यूरल पाथवे सक्रिय हो जाता है और ब्रेन को बूस्ट देता है. इससे सेरोटोनिन हॉर्मोन बनता है, जिसे हैप्पी हॉर्मोन भी कहते हैं.
ये कई तरह के इलेक्ट्रिकल और केमिकल सिग्नल देता है, जो दिमाग को लंबे समय तक के लिए एक्टिव रखता है.
वैज्ञानिक इसे रिवॉर्ड सर्किट कहते हैं. अक्सर दोपहर के दौरान ये सर्किट कमजोर पड़ने लगता है.
सुबह से काम कर रहे लोग थकने लगते हैं, और दोपहर में एकदम से खाने के बाद सुस्ताने के मूड में आ जाते हैं.
सर्कैडियन रिदम भी दोपहर की उदासी की एक वजह है. ये एक तरह की बॉडी क्लॉक है, जो हमारे चौबीस घंटों पर नजर रखती है.
इसमें हमारा सोना-जागना और खाना-पीना भी शामिल है. कई दिनों तक रात में पूरी नींद न लें तो सर्कैडियन रिदम डिस्टर्ब हो जाती है.
इसका असर दोपहर में ही सबसे ज्यादा दिखता है, जब रोशनी बढ़कर एकदम से कम होने लगती है. विस्तार से पूरी रिपोर्ट नीचे पढ़ें.