एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (ASI) की गणना के अनुसार, दोपहर के इन कुछ मिनटों में सूरज किसी भी चीज का शैडो नहीं बनाएगा.
ये घटना एक नहीं, बल्कि उष्णकटिबंधीय इलाकों में सालाना दो बार घटती है. इस दौरान सूर्य सिर के ठीक ऊपर अपने उच्चतम बिंदु पर होगा.
इससे होता ये है कि सूरज की किरणें छाया तो बनाती हैं, लेकिन वो किसी इंसान या ऑब्जेक्ट के ठीक नीचे होता है.
इससे ऐसा लगता है कि छाया बनी ही नहीं होगी, जबकि वो अंडर द ऑब्जेक्ट रहती है. इस घटना को ही जीरो शैडो डे कहते हैं.
वैसे असल में ये घटना केवल एकाध सेकंड या इससे भी कम होती है लेकिन इसका असर डेढ़ मिनट तक रह सकता है.
ये हमेशा कर्क और मकर रेखा के बीच आने वाले इलाकों में दिखता है. बेंगलुरु ऐसा ही एक क्षेत्र है.
सोमवार को ओडिशा के भुवनेश्वर में भी जीरो शैडो डे देखा जा चुका है. इसकी वजह क्या है, देखने के लिए नीचे क्लिक करें.