10 JAN 2025
Credit: Getty/X/AFP/AP
युवराज सिंह का शुमार टीम इंडिया के महानतम ऑलराउंडर्स में किया जाता है. युवी 2007 के टी20 वर्ल्ड कप और वनडे वर्ल्ड कप (2011) में भारतीय टीम का पार्ट थे.
2007 के टी20 वर्ल्ड कप में तो युवराज सिंह ने इंग्लिश गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड के ओवर में छह छक्के जड़े थे. जबकि 2011 वनडे वर्ल्ड कप में युवराज को 'प्लेयर ऑफ द सीरीज' चुना गया था.
युवराज ने 2011 कनडे वर्ल्ड कप में 15 विकेट लेने के साथ ही 362 रन भी बनाए थे. 2011 वनडे वर्ल्ड कप के दौरान युवी को कैंसर था.
यह बात उन्हें बाद में पता चली थी, लेकिन कैंसर से लड़ते हुए युवी ने फाइनल खेला और देश को चैम्पियन बनाया.
युवी ने कैंसर से उबरकर दिसंबर 2012 में भारतीय टीम में वापसी की थी. हालांकि उन्हें चैम्पियंस ट्रॉफी 2013 के लिए नहीं चुना गया.
युवी ने हार नहीं मानी और चैम्पियंस ट्रॉफी 2017 के लिए टीम में जगह बनाई. हालांकि औसत प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया. उस समय टीम की कप्तानी विराट कोहली के हाथों में थी.
अब युवराज सिंह को लेकर पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा ने चौंकाने वाला दावा किया है. उथप्पा ने युवराज के इंटरनेशनल करियर के समय से पहले खत्म होने के लिए विराट कोहली को जिम्मेदार ठहराया है.
उथप्पा ने विराट कोहली पर युवराज सिंह की मदद न करने और उन्हें टीम से बाहर करने का सनसनीखेज दावा किया. उथप्पा ने लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में ऐसी बातें कहीं.
उथप्पा ने कहा, 'युवी पा ने कैंसर को हराया और टीम में वापसी की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने हमें बाकी खिलाड़ियों के साथ मिलकर 2 वर्ल्ड कप जिताए. जीत में अभिन्न भूमिका निभाई. जब आप कप्तान बनते हैं, तो आप ऐसे खिलाड़ी के लिए कहते हैं कि उनकी फेफड़ों की क्षमता कम हो गई है. जब आपने उन्हें संघर्ष करते देखा था, तब आप उनके साथ थे.'
उन्होंने कहा, 'किसी ने मुझे यह नहीं बताया, मैं खुद चीजों को देखता हूं. जब आप कप्तान होते हैं, तो एक प्रकार का स्टैंडर्ड बनाकर रखना होता है. लेकिन नियम के भी हमेशा अपवाद होते हैं. वो ऐसे व्यक्ति हैं जो छूट के हकदार थे क्योंकि उन्होंने न केवल टूर्नामेंट जीता, बल्कि कैंसर को भी हराया. उन्होंने जीवन की सबसे कठिन चुनौती से पार पाई.'
उथप्पा ने आगे कहा, 'युवी ने फिटनेस टेस्ट के लिए दो पॉइंट कम करने का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार नहीं किया गया. फिर उन्होंने टेस्ट दिया क्योंकि वो टीम से बाहर थे. उन्होंने फिटनेस टेस्ट पास किया और टीम में आए. टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, लेकिन उन्हें पूरी तरह से बाहर कर दिया गया. उसके बाद उन्हें कभी भी शामिल नहीं किया गया.'
उथप्पा कहते हैं, 'जो भी लीडरशिप ग्रुप में थे, उन्होंने युवी को फिर शामिल नहीं किया. उस समय विराट कप्तान थे और उनके मजबूत व्यक्तित्व के कारण सब कुछ उनके अनुसार ही हुआ.'