वनडे क्रिकेट के भविष्य को लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ी हुई है. महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने इसे 25-25 ओवर्स के चार क्वार्टर में बांटने का सुझाव दिया है. वहीं कुछ ने इसे 40-40 ओवर के फॉर्मेट में बदलने की वकालत की है.
PIC: Getty/AFP/Twitterवनडे क्रिकेट की अबतक की कहानी काफी दिलचस्प है. साल 1970-71 की बात है, जब इंग्लैंड की टीम एशेज सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी. उस सीरीज में दोनों टीमों के बीच मेलबर्न टेस्ट मैच में पहले तीन दिन बारिश के चलते एक भी गेंद का खेल नहीं हो पाया, जिसके बाद अंपायर्स ने मैच को रद्द करने का निर्णय लिया.
चौंकाने वाली बात यह है कि जब दो दिन बाद मौसम साफ हुआ तो दोनों टीमें 40-40 ओवर्स का मैच खेलने के लिए तैयार हो गईं. नतीजतन 5 जनवरी 1971 को वनडे क्रिकेट का जन्म हुआ. खास बात यह है कि वह मुकाबला टेस्ट की तरह ही सफेद कपड़ों और लाल गेंद के साथ खेला गया था और एक ओवर में आठ गेंदें फेंकी गई थीं.
वनडे क्रिकेट में क्रांति की शुरुआत साल 1975 में पहली बार आयोजित वर्ल्ड कप के जरिए ही हुई. इंग्लैंड में खेले गए 60 ओवर्स के उस वर्ल्ड कप को वेस्टइंडीज ने अपने नाम किया था. फिर साल 1977 में केरी पैकर द्वारा वर्ल्ड क्रिकेट सीरीज के आयोजन के बाद इस फॉर्मेट ने काफी तेजी के साथ आगे की ओर कदम बढ़ाया.
केरी पैकर सीरीज का नतीजा ये हुआ कि आगे चलकर वनडे क्रिकट सफेद से रंगीन कपड़ों में बदल गया और सफेद गेंद से डे-नाइट मैच कराए जाने लगे. 1983 के वर्ल्ड कप में ऐतिहासिक जीत के बाद भारत में इस खेल की लोकप्रियता काफी बढ़ी. फिर 1987 के वर्ल्ड कप से 60 ओवर्स का वनडे क्रिकेट 50 ओवर्स के फॉर्मेट में बदल गया.
वनडे क्रिकेट को आकर्षक बनाने के लिए साल 1996 में पावरप्ले की शुरुआत की. तब आईसीसी की ओर से 15 ओवर्स का पावरप्ले शुरू किया गया था. इस दौरान टीमों को 30 गज के घेरे के बाहर अधिकतम दो फील्डर रखने की इजाजत दी गई, हालांकि उनका कैचिंग पोजिशन में रहना जरूरी था. 16वें ओवर से घेरे के बाहर पांच खिलाड़ी रखे जा सकते थे.
फिर 2005 में इस फॉर्मेट को अधिक चुनौतीपूर्ण बनाने के लिए 20 ओवरों का पावरप्ले कर दिया गया. साथ ही उसे तीन ब्लॉकों में बांट दिया गया. पहले 10 ओवरों में सर्कल के बाहर दो क्षेत्ररक्षकों को ऱखने की अनुमति दी गई. वहीं बाकी के पांच-पांच ओवर के पावरप्ले के दौरान तीन फील्डर घेरे के बाहर रह सकते थे और बॉलिंग टीम इसे अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकती थीं.
2008 में फिर से आईसीसी ने इसमें कुछ फेरबदल करते हुए बाकी के पांच-पांच ओवर के पावरप्ले का नाम बैटिंग और बॉलिंग पावरप्ले कर दिया. साल 2012 में आईसीसी ने गेंदबाजी पावरप्ले को हटा दिया, साथ ही गैर पावरप्ले ओवर्स में घेरे के बाहर पांच के बजाय सिर्फ चार खिलाड़ियों को रखने की इजाजत दी.
फिर 2015 के विश्व कप के बाद आईसीसी ने एक बड़ा फैसला करते हुए बैटिंग पावरप्ले को समाप्त कर दिया. इसके साथ ही 41-40 ओवर्स के दौरान फील्डिंग टीम पांच खिलाड़ियों को घेरे के बाहर रख सकती थीं. 2015 वाला नियम अब भी वनडे क्रिकेट में लागू है.
अभी पहले 10 ओवरों के दौरान अधिकतम दो फील्डर्स 30 गज घेरे के बाहर रहते हैं. वहीं 11-40 ओवर के दौरान 30 यार्ड सर्कल के बाहर अधिकतम चार क्षेत्ररक्षकों की अनुमति है. वहीं अंतिम 10 ओवर में पांच खिलाड़ी 30 गज के घेरे के बाहर रह सकते हैं.
देखा जाए तो आईसीसी ने वनडे क्रिकेट में और भी काफी सारे बदलाव किए है. सुपरसब का नियम भी आईसीसी ने एक वक्त लाया था, लेकिन बाद में समाप्त कर दिया. नो बॉल पर फ्री-हिट, एक ओवर में अधिकतम दो बाउंसर गेंद जैसे नियमों से वनडे क्रिकेट बल्लेबाजों का खेल बनकर रह गया है.
वनडे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा रन सचिन तेंदुलकर (18,426) के नाम है. वहीं भारतीय कप्तान रोहित शर्मा सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर (264) करने वाले प्लेयर हैं. सबसे ज्यादा शतक जड़ने का रिकॉर्ड भी सचिन (49) के ही नाम है.
सबसे तेज शतक एबी डिविलियर्स (31 गेंद) और सबसे ज्यादा विकेट का रिकॉर्ड मुथैया मुरलीधरन (534) के नाम दर्ज है. चामिंडा वास ने 2001 में जिम्बाब्वे के खिलाफ 19 रन देकर आठ विकेट लिए थे, जो वनडे क्रिकेट में अबतक का बेस्ट बॉलिंग फिगर है.
PIC: Getty/AFP/Twitterसबसे ज्यादा ओडीआई वर्ल्ड कप खिताब ऑस्ट्रेलिया (5) ने जीते हैं. वहीं भारत एवं विंडीज ने 2-2 बार विश्व कप जीता है. पाकिस्तान और इंग्लैंड की टीम भी एक-एक बार ट्रॉफी जीत चुकी है.
PIC: Getty/AFP/Twitter