Deepfake को लेकर क्या है FBI और NSA की सलाह? कैसे बचा जा सकता है

24 Nov 2023

Deepfake लगातार चर्चा में बना हुआ है. खासकर रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो वायरल होने के बाद इसकी चर्चा खूब हुई है. IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने इस पर बैठक की है.

चर्चा में डीपफेक 

बैठक के बाद बताया कि कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी का सेट पहले से मौजूद है, जो डीपफेक कंटेंट को ऑटोमेटिक डिटेक्ट करता है. भारत जल्द ही इस खतरे को रोकने के लिए नए कानून लाएगा. 

नए कानून आएंगे 

Deepfake कोई नया टर्म नहीं है. AI के आम लोगों की चर्चा का हिस्सा बनने से पहले भी Deepfake लोगों के लिए मुसीबत बन चुका है. इससे बचने के तरीकों पर FBI और NSA अपना सुझाव दे चुके हैं. 

पहले ही बन चुका है मुसीबत 

डीपफेक का इस्तेमाल करके आम लोगों में गलत जानकारी फैलाई जा सकती है. इसके लिए तमाम संस्थाओं, कंपनियों और एजेंसियों को कुछ  बातों का ध्यान रखना चाहिए.

इससे बच सकते हैं आप

इसके लिए FBI और NSA के सुझावों पर अमल किया जा सकता है. अगर ऐसा किया गया, तो आम लोगों तक कम से कम गलत जानकारी पहुंचेगी.

FBI और NSA की सलाह 

इन एजेंसियों ने अपने सुझाव में बताया कि कंपनियां और सरकारी विभाग कम्युनिकेशन के लिए रियल टाइम वेरिफिकेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे लोगों के चेहरे और हाव-भाव में अलग तरह की जीवंतता दिखती है. 

रियल टाइम वेरिफिकेशन

सेंसिटिव कम्युनिकेशन या फाइनेंस से जुड़े मामलों में OTP, पर्सनल डिटेल्स या बायोमैट्रिक्स जैसे मल्टी ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे डीपफेक का खतरा कम हो जाता है. 

मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन 

पहले से मौजूद कंटेंट के लिए रिवर्स इमेज सर्च, सोर्स चेकिंग, मेटा डेटा समेत कई तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है. इनकी मदद से पहले से इंटरनेट पर उपलब्ध डेटा का पता चल जाता है. 

पैसिव डिटेक्शन 

संस्थाओं को वाटरमार्क जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे यूजर्स तक गलत जानकारी ना पहुंचे. पब्लिक डोमेन में मौजूद बड़े अधिकारियों के डेटा को सुरक्षित रखने के तरीकों पर काम करना होगा. 

वाटरमार्क और दूसरे ऑप्शन