30 Dec 2024
मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के साथ मैदान पर खेली और हार गई. इस मैच के दौरान यशस्वी जायसवाल की विकेट पर अचानक विवाद खड़ा हो गया.
Credit: Meta AI Image
यशस्वी को मैदानी अंपायर ने आउट नहीं दिया था. लेकिन तीसरे अंपायर शारफुद्दौला (बांग्लादेश) ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के डीआरएस लेने के बाद फैसले को पलट दिया.
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इसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम सपोटर्स ने ग्राउंड पर चिल्लाना शुरू कर दिया. इस दौरान पूर्व बल्लेबाज और कमेंटेटर्स सुनील गावस्कर Snicko मीटर की मदद लेने को कहा.
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इस दौरान Snicko Technology के बारे में बार-बार चर्चा हुई. इसका इस्तेमाल करके क्रिकेट ग्राउंड पर बल्ले और बॉल के टच को चेक किया जाता है.
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कई बार क्रिकेट ग्राउंड पर बल्लेबाज के बल्ले से गेंद टच होती और कीपर या अन्य फील्डर्स के हाथ में चली जाती है. गेंद और बल्ले का टच इतना बारीक होता है जिसे आंखों से देखना मुश्किल होता है.
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Snicko technology के लिए विकेट स्टंप्स के आसपास माइक्रोफोन होते हैं. ये साउंडवेव को कैप्चर करता है. यह सिस्टम अन्य गैर जरूरी साउंड को नजर अंदाज कर सिर्फ गेंद और बल्ले का साउंड को फिल्टर्स करके कैप्चर करता है.
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Snicko Technology साउंडवेव के रूप में अपना रिजल्ट दिखाती है. जैसा हम फोटो में देख सकते हैं.
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Snicko Technology को सबसे पहले क्रिकेट में ब्रिटेन के द्वारा 1999 में इस्तेमाल किया गया था.
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Snicko Technology को ब्रिटिश कंप्यूटर साइंटिस्ट एलान प्लास्केट ने तैयार किया था. ये तकनीक साल 1990 में तैयार की गई थी.
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Snicko Technology का सिर्फ क्रिकेट में ही इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसका इस्तेमाल फुटबॉल के मैदान में भी किया जाता है. इसमें देखा जाता है कि बॉल प्लेयर्स के हाथ से तो टच नहीं हुई है.
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