23 Oct 2024
Credit: AI Image
साइबर ठगी का सबसे खतरनाक तरीका डिजिटल अरेस्ट है, जिसके आजकल बहुत से लोग शिकार हो रहे हैं. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.
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इस केस में साइबर क्रिमिनल्स आपको बड़ी ही चालाकी से फंसा लेते हैं. इसके बाद वे आपको डराते-धमकाते और लाखों रुपये ठग लेते हैं.
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आज आपको उन 5 तरह की कॉल्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल करके साइबर ठग आमतौर पर डिजिटल अरेस्ट करते हैं. ये जानकारी हमने पुराने डिजिटल अरेस्ट केस के आधार पर ली है.
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साइबर ठग एक अनजान नंबर से कॉल करके करेंगे. इसके बाद वे फेक पार्सल की जानकारी देंगे और कहेंगे कि यह आपके नाम से है. फिर में इसमें ड्रग्स होने की बात कहेंगे. इसके बाद डिजिटल अरेस्ट करेंगे.
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साइबर क्रिमिनल्स अनजान नंबर से कॉल करके आपके आधार कार्ड के बारे में बताएंगे. इसके बाद कहेंगे कि आपके नाम से फर्जी सिम ली,जिसका यूज गैर कानूनी काम में किया है. आपके खिलाफ FIR है. फिर डिजिटल अरेस्ट कर लेंगे.
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साइबर स्कैमर्स टेलीकॉम कंपनी ऑफिसर बनकर कॉल करते हैं. इसके बाद फोन नंबर बंद करने की जानकारी देते हैं. सवाल पूंछने पर वे आपको FIR और फेक वारेंट आदि का जानकारी देते हैं. फिर डिजिटल अरेस्ट कर लाखों ठग लेंगे.
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डिजिटल अरेस्ट या साइबर ठगी की शुरुआत एक IVR call के जरिए भी हो सकती है. इस कॉल में कोर्ट या टेलीकॉम कंपनी का नाम इस्तेमाल होता है. यहां फेक वारेंट के बारे में भी बताते हैं.
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IVR कॉल में ज्यादा डिटेल्स के लिए एक नंबर एंटर करने को कहते हैं. इसके बाद विक्टिम की बात एक शख्स से होती है, जो खुद को पुलिस ऑफिसर या अन्य लॉ एजेंसी का ऑफिसर बताता है.
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विक्टिम को डिजिडली अरेस्ट और लाखों रुपये ठगने के लिए साइबर क्रिमिनल्स खुद को पुलिस ऑफिसर के रूप में बताते हैं. इसके बाद विक्टिम की घबराहट का फायदा उठाकर उसे डिजिटल अरेस्ट करते और ठगी को अंजाम देते हैं.
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डिजिटल अरेस्ट से सेफ्टी के लिए जरूरी है कि आप किसी भी कॉल पर आंख बंद करके यकीन ना करें. इसके लिए जरूरी है कि लेटेस्ट साइबर ठगी के केस से अपडेट रहें. साथ ही स्थानीय पुलिस से मदद मांगे.
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